देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर जल्द दौड़ेंगी गाड़ियां, निर्माण कार्य की स्थिति क्या है?

एक्सप्रेसवे

अक्टूबर तक पूरा होगा देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे, इस माह से शुरू होगी आंशिक आवाजाही
ढाई घंटे में तय होगी देहरादून से दिल्ली की दूरी, पर्यावरणीय शमन पर खर्च हुए 40 करोड़

देहरादून से दिल्ली की यात्रा को आसान और तेज बनाने वाली महत्त्वाकांक्षी देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे परियोजना अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि इस एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य इस वर्ष अक्टूबर तक पूर्ण कर लिया जाएगा। एक्सप्रेसवे के पूरा होते ही देहरादून से दिल्ली की दूरी महज ढाई घंटे में तय की जा सकेगी, जो अभी औसतन 5 से 6 घंटे लगते हैं।

आंशिक रूप से इस माह से शुरू हो सकती है ट्रैफिक मूवमेंट

माना जा रहा है कि अगस्त महीने से इस एक्सप्रेसवे के कुछ हिस्सों पर आंशिक रूप से वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी। इससे यात्रियों को सहूलियत मिलने के साथ-साथ ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा। हालांकि पूर्ण उपयोग अक्टूबर के बाद ही संभव होगा, जब सभी खंडों का निर्माण पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।

राज्यसभा में जवाब देते हुए दी जानकारी

बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान उत्तराखंड से सांसद नरेश बंसल के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है और अधिकांश निर्माण कार्य तय कार्यक्रम के अनुसार चल रहे हैं

परियोजना में काटे गए 17,913 पेड़, बदले में पौधरोपण

इस विशाल परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी के तहत कुल 17,913 पेड़ों की कटाई की गई है। इसके बदले में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए 157.2 हेक्टेयर भूमि पर 22.05 करोड़ रुपये की लागत से पौधरोपण किया जा रहा है। साथ ही, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा 50,600 पौधे रोपे जा चुके हैं, जो राजमार्ग के मार्गाधिकार क्षेत्र में लगाए गए हैं।

पुनर्स्थापन योजनाओं पर 40 करोड़ की राशि

पर्यावरणीय पुनर्स्थापन (इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन) योजनाओं के तहत केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के शिवालिक वन प्रभाग और उत्तराखंड के देहरादून वन प्रभाग को कुल 40 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की है। इसका उद्देश्य कटे हुए पेड़ों की भरपाई करना और हरित पट्टी को फिर से विकसित करना है।

भूस्खलन की संभावनाओं को लेकर भी किए गए उपाय

चूंकि एक्सप्रेसवे का कुछ हिस्सा पहाड़ी क्षेत्रों से होकर गुजरता है, इसलिए वहां भूस्खलन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए विशेष सुरक्षात्मक उपाय किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) के मानकों के अनुरूप संभावित भूस्खलन स्थलों पर इंजीनियरिंग समाधान अपनाए गए हैं ताकि भविष्य में किसी प्रकार की दुर्घटना की आशंका को कम किया जा सके।

परियोजना से उत्तराखंड को क्या लाभ?

इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से न केवल देहरादून से दिल्ली की दूरी घटेगी, बल्कि यह मार्ग आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद होगा। पर्यटन, परिवहन और स्थानीय कारोबार को इससे बड़ा बल मिलेगा। साथ ही, यह कॉरिडोर एनसीआर और उत्तराखंड के बीच कनेक्टिविटी को भी नई दिशा देगा

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