देहरादून में छात्रों ने टेलिस्कोप से देखा अद्भुत पूर्ण चंद्रग्रहण

टेलिस्कोप

यूकास्ट में पूर्ण चंद्र ग्रहण पर खगोलीय कार्यक्रम, छात्रों ने टेलिस्कोप से किया दुर्लभ नजारे का अवलोकन

देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान शिक्षा एवं प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) के अंतर्गत आंचलिक विज्ञान केंद्र में रविवार को पूर्ण चंद्र ग्रहण के अवसर पर विशेष खगोलीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान देहरादून और आसपास के क्षेत्रों से आए छात्र-छात्राओं के साथ-साथ आमजन ने भी टेलिस्कोप के माध्यम से इस अद्भुत खगोलीय घटना का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। प्रतिभागियों ने इस दुर्लभ दृश्य को देखकर गहरी उत्सुकता और रोमांच व्यक्त किया।

विज्ञान में बढ़ती रुचि और नई पीढ़ी की जिज्ञासा

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यूकास्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि खगोलीय घटनाएँ केवल प्राकृतिक दृश्य नहीं हैं, बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर नई पीढ़ी में शोध और खोज की भावना को बढ़ावा देते हैं और उन्हें विज्ञान के करीब लाते हैं।

विशेषज्ञों ने बताई खगोल विज्ञान की अहमियत

आंचलिक विज्ञान केंद्र के प्रभारी एवं वैज्ञानिक डॉ. ओमप्रकाश नौटियाल ने बताया कि टेलिस्कोप के माध्यम से खगोलीय घटनाओं का प्रत्यक्ष अवलोकन विद्यार्थियों के लिए विज्ञान से जुड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों की सीखने की जिज्ञासा बढ़ती है और वे आकाशीय घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टि से समझने लगते हैं।

टेक्नो हब की निदेशक डॉ. रीमा पंत ने शिक्षा में विज्ञान और तकनीक के समन्वय पर बल दिया। उन्होंने कहा कि नवाचार और अनुसंधान आज की आवश्यकता है और इस प्रकार के कार्यक्रम विद्यार्थियों को रचनात्मक सोच की ओर प्रेरित करते हैं।

पेल ब्लू डॉट की संस्थापक श्वेता ध्यानी ने कहा कि खगोल विज्ञान पर आधारित ऐसे आयोजन विद्यार्थियों को न केवल जिज्ञासु बनाते हैं बल्कि उनकी कल्पनाशक्ति को भी पंख देते हैं। वहीं, उत्तराखंड सरकार के अपर सचिव नवनीत पांडे (IAS) ने इस पहल की सराहना की और कहा कि खगोलीय घटनाओं का प्रत्यक्ष अनुभव विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच को गहराई तक पहुँचाता है।

कार्यक्रम में उत्साह और सराहना

करीब 100 प्रतिभागियों की उपस्थिति वाले इस आयोजन का संचालन डॉ. नौटियाल ने किया। प्रतिभागियों ने न केवल टेलिस्कोप से ग्रहण का अवलोकन किया बल्कि विशेषज्ञों से वैज्ञानिक पहलुओं पर बातचीत भी की। इस दौरान बच्चों ने कई सवाल पूछे जिनका वैज्ञानिकों ने सरल और रोचक भाषा में उत्तर दिया।

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों और अतिथियों ने यूकास्ट की इस पहल की सराहना की। साथ ही, यह मांग भी उठी कि भविष्य में ऐसे और अधिक खगोलीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएँ, जिससे विद्यार्थियों को विज्ञान की दुनिया से जोड़ने के अवसर मिलते रहें

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