सुप्रीम कोर्ट में टीईटी अनिवार्यता पर पुनर्विचार की मांग, शिक्षक संगठनों ने जताई आपत्ति

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सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे शिक्षक, कहा–सभी के लिए TET अनिवार्यता उचित नहीं

देहरादून। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ अब शिक्षक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन ने घोषणा की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। संगठन का कहना है कि इस आदेश से लाखों शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें ऐसे भी शामिल हैं जिन्होंने 20 साल से अधिक समय तक शिक्षा व्यवस्था को अपनी सेवाएं दी हैं।

संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. सोहन माजिला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय ने शिक्षकों में गहरी चिंता पैदा कर दी है। उनके अनुसार, लंबे समय से सेवा दे रहे शिक्षकों को टीईटी न होने की स्थिति में पदोन्नति से वंचित करना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि सेवा में बने रहने के लिए भी टीईटी को बाध्यता बनाना उचित नहीं है, क्योंकि अनुभव और वर्षों की मेहनत को केवल एक परीक्षा के आधार पर नकारा नहीं जा सकता।

डॉ. माजिला ने आगे बताया कि संगठन पहले इस मसले पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर उन्हें विस्तृत रूप से स्थिति से अवगत कराएगा। संगठन की मांग है कि पुराने शिक्षकों को इस आदेश से बाहर रखा जाए या उनके लिए अलग व्यवस्था की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि बातचीत के बाद भी कोई ठोस समाधान नहीं निकलता, तो संगठन सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह फैसला न केवल शिक्षकों के अधिकारों का हनन है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भी असंतुलन पैदा कर सकता है। वर्षों का अनुभव रखने वाले शिक्षक अचानक अयोग्य की श्रेणी में आ जाएंगे, जिससे उनका मनोबल टूटेगा। उनका तर्क है कि नई भर्ती में टीईटी की शर्त उचित हो सकती है, लेकिन पहले से सेवा दे रहे शिक्षकों पर इसे थोपना अन्यायपूर्ण है।

अब देखना होगा कि शिक्षा मंत्री के साथ वार्ता के बाद स्थिति में कोई बदलाव आता है या शिक्षक संगठन अपनी रणनीति के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं

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