दो फिल्म अभिनेता भी जांच के घेरे में
46 आरोपियों पर मुकदमा दर्ज
देहरादून। उत्तराखंड में 500 करोड़ रुपये के बहुचर्चित एलयूसीसी घोटाले में आखिरकार सीबीआई ने सख्त रुख अपना लिया है। हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआई/एसीबी देहरादून शाखा ने लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसायटी (एलयूसीसी) से जुड़े 46 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। खास बात यह है कि आरोपियों की सूची में दो फिल्म अभिनेता आलोक नाथ व श्रेयस तलपड़े भी शामिल किए गए हैं, जो सोसायटी के ब्रांड एंबेसडर रहे थे।
प्रदेशभर में 2019 से 2024 के बीच इस सोसायटी ने 500 करोड़ रुपये तक की ठगी को अंजाम दिया। कम समय में दोगुना मुनाफा, विदेशों में सोने-तेल व रिफाइनरी में निवेश का लालच देकर हजारों निवेशकों से रकम जमा कराई गई। कार्यालय बंद कर फरार होने के बाद पीडि़तों ने बड़े स्तर पर आंदोलन किए और मामला हाइकोर्ट तक पहुंचा। अदालत ने 17 सितंबर को राज्य में दर्ज सभी आपराधिक मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
कैसे खुला 500 करोड़ का सबसे बड़ा कोऑपरेटिव फ्रॉड
जून 2024 में कोटद्वार निवासी तृप्ति नेगी ने पहली शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद प्रदेश के देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, चमोली, टिहरी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, उत्तरकाशी और नैनीताल जिलों में कुल 18 प्राथमिकी दर्ज हुईं। सीबीसीआईडी ने कुछ मामलों में चार्जशीट भी दाखिल की, लेकिन मुख्य आरोपी समीर अग्रवाल विदेश फरार हो गया। उसके खिलाफ ब्लू कॉर्नर और लुक आउट नोटिस जारी किए जा चुके हैं। सीबीआई ने अब कोटद्वार की एफआईआर को आधार मानते हुए सभी मामलों को एकत्र कर बड़ा मुकदमा दर्ज किया है।
दो अभिनेता क्यों फंसे?
देहरादून के रायपुर थाना क्षेत्र में दर्ज एक मुकदमे में दो फिल्म अभिनेताओं के नाम पहले ही सामने आ चुके थे। सोसायटी के ब्रांड एंबेसडर होने के कारण पीडि़तों का आरोप है कि इन कलाकारों के प्रचार पर भरोसा कर ही उन्होंने बड़ी राशि निवेश की थी। सीबीआई ने अब दोनों को आरोपी सूची में शामिल कर दिया है। सीबीसीआईडी की टीम पहले भी एक अभिनेता के घर पहुंच चुकी है। गिरफ्तारी से बचने के लिए अभिनेता ने सर्वोच्च न्यायालय से स्टे हासिल किया हुआ है।
किसके पैसे फंसे?
- ज्यादातर मध्यम वर्ग, निम्न आय वर्ग, दिहाड़ी मजदूर और गृहणियां
- 500 करोड़ से अधिक की रकम फंसी
- निवेश की गई आरडी, एफडी और डिपॉजिट का पैसा वापस नहीं मिला
यूएलसीसी ने कितनी शाखाएं खोलीं?
- उत्तराखंड में कुल 35 शाखाएं
- 2019 से 2024 के बीच बड़े पैमाने पर जमा राशि एकत्र की
राजनीतिक दबाव भी बना
- राज्यभर में विरोध प्रदर्शन
- चार सांसदों ने 24 जुलाई को गृह मंत्री से मिलकर जांच की मांग उठाई
घोटाले की शुरुआत और अंत
एलयूसीसी ने 2019 में उत्तराखंड में शाखाएं खोलकर लोगों को आकर्षक ऑफर दिए। कुछ समय तक पैसे लौटाकर भरोसा भी जीता, लेकिन 2024 में अचानक सभी कार्यालय बंद हो गए। निवेशकों ने पुलिस थानों में शिकायतें दर्ज करानी शुरू कीं और मामला हाइकोर्ट तक पहुंच गया। अदालत के हस्तक्षेप के बाद अब सीबीआई ने सभी मामलों को केंद्रीकृत कर जांच शुरू कर दी है।











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