हाईकोर्ट में सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी अवसंरचना पर खर्च होगी राशि
देहरादून। हरिद्वार से भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल में उत्तराखंड न्यायिक अवसंरचना के सुदृढ़ीकरण का मुद्दा उठाया।
उन्होंने सवाल किया कि क्या उत्तराखंड के कई जिलों में न्यायालय भवनों, रिकार्ड कक्ष और बार कक्षों के लिए अवसंरचना की भारी कमी है। साथ ही पूछा कि क्या सरकार ने उत्तराखंड न्यायपालिका की अवसंरचना में सुधार करने के लिए कोई विशेष निधि स्वीकृत की है।
उन्होंने सरकार से यह भी ब्यौरा मांगा कि क्या नए न्यायालय भवनों के निर्माण और डिजिटलीकरण के लिए कोई परियोजना प्रस्तावित है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के सवाल के लिखित जवाब में विधि और न्याय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि ई न्यायालय के अधीन उत्तराखंड उच्च न्यायालय को सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी (आईसीटी) अवसंरचना के लिए वर्ष 2025-26 में कुल 2957 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। इससे पहले वर्ष 23-24 में 1367.69 लाख और वर्ष 24-25 में 1995.79 लाख की राशि दी जा चुकी है।
मेघवाल ने बताया कि न्यायपालिका के लिए अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकार-संघ राज्य क्षेत्रों की है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने वित्तीय सहायता प्रदान करन के लिए वर्ष 93-94 से जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायपालिका के लिए अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित स्कीम (सीएसएस) का कार्यान्वयन किया है। उत्तराखंड के लिए केंद्र और राज्य के बीच निधि साझाकरण प्रतिशत 90-10 है।
इस स्कीम में न्यायालय हाल, न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय सुविधाएँ, वकीलों के लिए हाल, वकीलों और वादकारियों की सुविधा के लिए शौचालय परिसर, डिजिटल कम्प्यूटर कक्ष शामिल हैं।
इस स्कीम के आरंभ से उत्तराखंड को 31 अक्टूबर,2025 तक 301.94 करोड़ की केंद्रीय सहायता प्रदान की गई है। जिसमें से 256.6 करोड़ वित्तीय वर्ष 2014-15 से न्यायपालिका के लिए अवसंरचनात्म सुविधा के विकास के लिए केंद्रीय प्रायोजित स्कीम के अधीन दिए गए हैं।
उनके अनुसार उत्तराखंडो में 298 न्यायिक अधिकारियों के स्वीकृत पदों के लिए 283 न्यायालय हाल उपलब्ध हैं। अन्य 12 न्यायालय हाल निर्माणाधीन हैं। ई न्यायालय परियोजना के चरण 3 के अधीन देशभर में 2038.40 करोड़ रुपए की लागत से संपूर्ण न्यायलय अभिलेख –विरासत संपदा अभिलेख और नए मामलों की फाइलिंग दोनो के डिजिटलीकरण की व्यवस्था है। 30 सितंबर, 2025 तक उत्तराखंड उच्च न्यायालय में 2.17 करोड़ पृष्ठों का डिजिटलीकरण हो चुका है। उत्तराखंड के जिला न्यायालयों में 89.20 करोड़ से अधिक पेजों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है।












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