शीतकाल के लिए बंद हुए बद्रीनाथ धाम के कपाट, जयकारों से गूंज उठा पूरा धाम

बदरीनाथ धाम के कपाट आज अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए। इसके बाद अगले छह माह तक भगवान बदरीनाथ की पूजा पांडुकेश्वर और जोशीमठ में संपन्न होगी। बदरीनाथ धाम के सिंह द्वार को गेंदे के फूलों से सजाया गया।

शुक्रवार को पंच पूजाओं के चौथे दिन माता लक्ष्मी का आह्वान कर पूजन संपन्न हुआ। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना तथा कढ़ाई भोग अर्पित किया गया। शनिवार को रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी स्त्री वेश धारण कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को बदरीनाथ धाम के गर्भगृह में प्रतिष्ठापित किया और उद्धव व कुबेर जी की प्रतिमा को मंदिर परिसर में लाया गया।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि माणा गांव की महिला मंगल दल की महिलाओं की ओर से तैयार किए गए घृत कंबल (घी में भिगोया ऊन का कंबल) को भगवान बदरीनाथ को ओढ़ाया गया। इसके बाद अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।

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