सूर्यास्त का मैजिक देखने लालभितिया पहाड़ पर आएंगे पर्यटक, बेहद करीब से दिखेगा हिमालय

उगता सूरज ढलता सूरज कुछ हमें बतलाता है आते जाते हमको हर रोज एक नया पाठ पढ़ाता है। ये पंक्तियां जिंदगी के भाग – दौड़ में हर किसी को सुकून के दो पल की तलाश में नदी के किनारे ढलते सूरज को देखने के लिए खींच कर लाती है। देश के विख्यात सनसैट प्वाइंट में एक पश्चिम चंपारण जिले के ललभितिया पहाड़ भी शामिल है। चार साल पहले बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने भारत – नेपाल सीमा पर वीटीआर के घनघोर जंगल में अवस्थित ललभितिया पहाड़ को विकसित करने का निर्णय लिया था। कुछ साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ललभितिया पहाड़ के चढ़कर सूर्योदय का नजारा देखा था और इसे पर्यटकों के लिए विकसित करने का आदेश दिए थे।

पहाड़ की लाल मिट्टी करेगी आकर्षित

तमिलनाडु का कन्याकुमारी दुनिया का सबसे फेमस सनसैट प्वाइंट है। समुद्र में डूबते हुए सूर्य को देखने के लिए प्रतिदिन  पर्यटक यहां आते हैं। लेकिन वीटीआर में अवस्थित ललभितिया पहाड़ का नजारा इससे कम नहीं है। हरे भरे जंगल के बीच लाल मिट्टी के पहाड़ पर चढ़कर सूरज को बिल्कुल करीब से डूबते देखने किसी रोमांच से कम नहीं । यहां सूर्यास्त देखने का असली मजा तब आएगा जब शाम थोड़ी लंबी हो। राजस्थान के माउंट आबू की तरह पहाड़ की चोटी से सूर्य को देर तक देखा जा सकता है। ललभितिया में सूर्यास्त का नजारा बेहद मनमोहक होता है। यहां लाल और पीला रंग नदी में जब घुलता है तो उसे देखना अपने आप में अद्भुत अनुभव होता है। 

बेहद करीब से दिखेगा हिमालय 

वीटीआर के वन प्रमण्डल एक के मंगुराहा वन क्षेत्र स्थित लालभितिया पहाड़ को विकसित करने के लिए प्रस्ताव बनाकर राज्य वन मुख्यालय समेत एनटीसीए को स्वीकृति के लिए भेजा गया है। यहां आने वाले देश-विदेशी पर्यटकों के लिए छोटे होटल, पीने का पानी, बिजली और पर्यटकों के ठहरने के लिए तम्बू हट की व्यवस्था होगी। पर्यटक पहाड़ से ही जानवरों की दहाड़ सुन रोमांचित होंगे। यहीं से हिमालय का नजारा ले सकेंगे। वनवर्ती गांवों के युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। 

टूरिज्म सर्किट से जुड़ेंगे धार्मिक स्थल  

वाल्मीकिनगर से मंगुराहा तक पर्यटकों के लिए इको हट,ट्री हट, होटल विहार, विश्रामागार आदि संसाधनों की व्यवस्था कर दी गई है। वीटीआर के मंगुराहा वन क्षेत्र में हाथी सेंटर के निर्माण पर भी 1.40 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। यहां पर्यटकों के लिए हाथी रखे जाएंगे। ताकि पर्यटक अपने बच्चो के संग हाथी सफारी का आनंद भी ले सके। वीटीआर के घने जंगलों में प्राचीन काल से अवस्थित आधा दर्जन से अधिक धार्मिक स्थलों को भी टूरिज्म सर्किट से जोड़ा जा रहा है। इसमें नर देवी, जटाशंकर धाम, कौलेशवर धाम, सोमेशवर, मदनपुर देवी स्थान, सोफा मंदिर व सुभद्रा मंदिर शामिल हैं।

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