चमोली: प्रधान कागा गरपक के जिला महामंत्री पुष्कर सिंह राणा ने उद्योग विभाग के कामकाजों से भोटिया जनजाति के स्थानीय बुनकरो/शिल्पियों को होती परेशानियों पर सवाल खड़े किये है… उन्होंने कहा की उद्योग विभाग चमोली द्वारा भीमतला मे 1967-68 से स्थानीय ऊनी कारोबार करने वाले लोगो के लिए एक ऊनी कार्डिंग मशीन लगवाया गया था। जहां पर सीमान्त क्षेत्र के भोटिया जनजाति के लोग ऊन की फ़िज़ाई करवाते औऱ उससे ऊनी वस्त्र जैसे पंखी,शॉल, मफलर,ऊनी टोपी,कोट की पट्टी,दन/कालीन,आसन व तरह तरह के ऊनी वस्त्र तैयार करके मार्किट/बाजार में बेचते थे औऱ अपनी आजीविका चलाते थे।
जो अभी तक चलता आ रहा था।मगर विगत दो तीन वर्षों से ये कार्डिंग मशीन बंद पड़ा है ग्रामीणों द्वारा कई बार उद्योग विभाग व जिला प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया गया लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नही है जिससे भोटिया जनजाति के लोगो का कारोबार/रोजी रोटी पर इसका बुरा असर दिखाई दे रहा है लोग अपने आजीविका के लिए परेशान हो रखे है। बताया जा रहा है कि विगत कुछ पहले सरकार ने यहां पर एक ढेड करोड़ रुपये खर्च कर एक फिनिशिंग मशीन भी लगवाया है लेकिन फिनिशिंग मशीन सिर्फ शो केश बना है इसका लाभ अभी तक ग्रामीणों को नही मिला।
यहां पर उद्योग विभाग द्वारा बहुत बड़ा कार्यालय व इम्पोरियम सेंटर तो बनाया गया लेकिन इसमें काम कुछ भी नही होता है।जिससे साफ जाहिर होता है कि विभाग द्वारा इस साम्राज्य को बनाने में बहुत बड़ा घोटाला किया गया है।मेरा शासन/प्रशासन से निवेदन है कि इस पर तुरन्त जांच बैठाया जाय और जो भी कमियां पाई जाय उस पर तुरन्त कार्यवाही करें और इस कार्डिंग मशीन को जल्दी से जल्दी ठीक करके स्थानीय ग्रामीणों को इसका लाभ दे। अन्यथा ग्रामीण उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
बताते चलें कि 1962 से पहले ये भोटिया जनजाति के लोग तिब्बत व्यापार करते थे व्यापार में भोटिया जनजाति के लोग तिब्बत से मुख्य रूप से नमक व पसमीना ऊन लेकर भारत आते नमक तो बाजार में बेचते औऱ जो पसमीना ऊन लाते उससे तरह तरह के ऊनी कपड़े तैयार करते औऱ उसे बाजार में बेचते। लेकिन 1962 में तिब्बत पर चीन ने आक्रमण किया और तिब्बत पर चीन का आधिपत्य हो गया जिस कारण भोटिया जनजाति के लोगो का मुख्य व्यवसाय जो व्यापार था वह बंद हो गया।उसके बाद ये लोग सिर्फ ऊनी कारोबार पर निर्भर रहने लगे।जिस कारण सरकार ने 1967-1968 मे जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र भीमतला चमोली मे एक ऊन फ़िज़ाई/ऊन कार्डिंग मशीन स्थापित किया औऱ ये लोग यहां पर ऊन फ़िज़ाई करके अपने कारोबार को आगे बढ़ाने लगे।