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हर किसी के पास बताने के लिए एक कहानी होती है, हर कोई लेखक होता है। कुछ किताबों में हैं और कुछ दिलों में कैद हैं।
लेखन की सर्वोच्चता पर कोई बहस नहीं कर सकता। सदियों से, लेखन ने राज्यों का निर्माण किया ही सरकारों को बनाया है और गिराया है, दिल जीता है और टूटी हुई आत्मा को राहत दी है। बिलकुल हताश निराश लोगों में नयी ऊर्जा, नयी उमंग का संचार किया है। हमें इस बात का ध्यान रखना है- लेखन का उपयोग केवल दिल बहलाने के लिए ही नहीं के लिए ही नहीं बल्कि आर्थिक और राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता रहा है। लेखक के बारे में हिंदी साहित्य जगत के प्रबुद्ध रचनाकार विष्णु प्रभाकर ने कहा है कि आम जन अनुभव के दंश को झेल लेते हैं जबकि लेखक उसे रचना के माध्यम से सार्वजनिक कर देता
लेखन की सर्वोच्च शक्ति यह है कि यह व्यक्ति के मन को प्रभावित करता है। आपको सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक होने की आवश्यकता नहीं है. मैं आपको अपने अनुभव पर बता सकता हूँ कि लिखने की अद्भुत क्षमता है। लिखने पढ़ने मात्र से आप किसी के जीवन में चमत्कार ला सकते है।
एक लेखक के रूप में जब आप लिखते हैं तो आपको पता नहीं चलता कि आपके पास कितनी असीम शक्ति है। लेखन से आप रामधारी दिनकर, सोहनलाल द्विवेदी और सुभद्रा कुमारी चौहान के रूप में युवा पीढ़ी को राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित कर सकते हैं वहीँ दूसरी और प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत बनकर झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या इन सबको सहज रूप से काव्य का उपादान बना देते हो। लेखन आपको अधिक आत्मविश्वास देता है। वास्तव में, अत्यधिक बौद्धिक लोग अपने विचारों को भाषणों में देने के बजाय लिखने में अधिक सक्षमता से अभिव्यक्त करते हैं। लेखन वह सशक्त माध्यम है जो आप महसूस करते हैं आप दूसरों को बताना चाहते हैं, उसे पूरी गंभीरता से व्यक्त कर सकते हैं । अच्छी बात यह है कि अंतर्मुखी व्यक्तियों को लेखन के माध्यम से चमकने का अवसर मिलता है। कुछ लोग अपने सामने बड़े प्रभावशाली लोगों का सामना करने में असहज होते हैं, वे पर जब वे लिखते हैं तो बोलने के विपरीत, अपने लेखन से सबका दिल जीत लेते हैं । लेखक व्यक्त करने, प्रभावित करने और यहां तक कि बहस करने के लिए स्वतंत्र है। किसी भी डर और चिंता को कुचलना आसान है; जब आप संचार के अन्य माध्यमों की तुलना में लिखते हैं तो आप अधिक प्रभावी होते हैं ।
शब्दों में है असीम शक्ति :
शब्दों में शक्ति होती है। लेखकों, बुद्धिजीवियों और प्रभावितों ने सदियों से विचारों की शक्ति के बारे में जाना है। लिखित शब्द ने लोगों को घटनाओं को रिकॉर्ड करने, परंपराओं को पारित करने और जटिल तर्क विकसित करने में सहायता की है। लेखन, वास्तव में, हमें वह खोजने में मदद करता है जो हम पहले से जानते हैं; यह हमारे अपने विचारों को सुव्यवस्थित करने की प्रक्रिया है, एक परिवर्तन जो हमारे दिमाग में शुरू होता है और कलम से कागज पर प्रसारित होता है। परिवर्तन यहाँ महत्वपूर्ण शब्द है, क्योंकि शब्दों में हमारे सोचने के तरीके को बदलने और हमें सशक्त बनाने की क्षमता है। शब्दों की ताकत का बेहतरीन उदाहरण देना चाहता हूँ शायद आपको ध्यान हो व्यवस्था परिवर्तन हेतु हिंदी के सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री दुष्यंत कुमार ने जब बदलाव का आह्वान किया तो सम्पूर्ण देश ने उनको सराहा
…… सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
जब आप लिखते हैं और अपना लेखन साझा करते हैं, तो आप अपना एक अंश वहाँ रख रहे होते हैं; यह आपके और आभासी अजनबी के बीच एक अतुल्यकालिक सम्बन्ध बनाने का अवसर है। जब आप अपने डर के बारे में लिखते हैं, तो आप किसी को बता रहे होते हैं कि वे उन डरों का सामना करने वाले अकेले नहीं हैं। जब आप कठिन बाधाओं पर पार पाने के बारे में लिखते हैं, तो आप किसी को उम्मीद दे रहे होते हैं कि उनके लिए भी ऐसा करना संभव है। जब आप अपनी जीत के बारे में लिखते हैं, तो आप अपने आप से एक उदाहरण बना रहे होते हैं चलो सितारों पर निशाना साधते हैं, जो ऐसा सोचते हैं वे कभी-कभी वहां पहुंच सकते हैं। यह बातें आपको इसलिए बता रहा हूँ मैंने कोविड की महामारी के बीच आई सी यू में लिखा।
मुझे लगता है उसी लेखन ने मेरे अंदर के आत्मविश्वास को कम नहीं होने दिया। मैंने देखा है लेखन उन विचारों को स्पष्टता प्रदान करता है जो अक्सर हमारी सोच को भ्रमित और अस्पष्ट करते हैं। यही नहीं लेखन हमें अपने आप से जुड़ने में भी मदद करता है, कुछ ऐसा जो हम अक्सर नहीं करते, यहीं से आत्म खोज शुरू होती है। अगर आप अपने भीतर की शक्ति को पहचान ले तो कोई लक्ष्य आपके लिए मुश्किल नहीं है. चाहे आप कविता लिखे , चाहे उपन्यास, चाहे नाटक, चाहे निबंध लिखे हर प्रकार का लेखन एक सृजन है, हम शून्य में से कुछ बनाना सीखते हैं, यह उद्यमशीलता की शुरुआत है। लेखन एक अभिव्यक्ति है, जो हमें दूसरों से जुड़ने में मदद करती है। लेखन हमारे दिल को हमारे दिमाग से जोड़ता है। सबसे महत्वपूर्ण कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली नहै, लेखन समाज में परिवर्तन ला सकता है, यह दिल और दिमाग को एक साथ जोड़ कर एक ऐसा वातावरण सृजित करता है जो क्रांति ला सकता है। कुछ भी हो सकता है। हाल के वर्षों में, मैं जहाँ भी जाता हूँ , जिससे मिलता हूँ यहाँ तक की स्टाफ को कहता हूँ कि उन्हें लिखना चाहिए। न केवल उन्हें लिखना चाहिए, उन्हें अपने लेखन को अधिक से अधिक लोगों के साथ खुले तौर पर साझा करने के उद्देश्य से ऑनलाइन प्रकाशित करना चाहिए। यही सलाह आप सब को देना चाहता हूँ। ऐसा न करने के लिए लोग सबसे आम प्रतिक्रिया/बहाने देते हैं: मैं जो लिखता हूं उसे कोई नहीं पढ़ेगा। आपके लिखे को कोई न पढ़े तो कोई बात नहीं। लेखन की बात आत्म-अभिव्यक्ति है – दर्शकों को इकट्ठा करना गौण होना चाहिए। आप पहले खुद से जुड़े बिना दूसरे लोगों से नहीं जुड़ सकते।
मुझे लगता है कि हममें से अधिकांश को समय को प्राथमिकता देने में परेशानी होती है। अक्सर हम यह नहीं समझते हैं कि जीवन में हमें लेन-देन को ध्यान से तौलने में सक्षम होने की आवश्यकता है। यदि लेखन हमें अधिक जागरूक, विचारशील और रचनात्मक बनाता है, तो हम जानबूझकर लिखने के लिए समय क्यों नहीं निकाल रहे हैं? यह प्राथमिकता क्यों नहीं है?
लिखने के लिए समय निकालना अपने आप से जुड़ने के लिए समय निकालना है। ध्यान के अपवाद के साथ, स्वयं से जुड़ने के बेहतर तरीके के बारे में सोचने का प्रयास करें। लिखना अपने आप में साधना का एक रूप है। आप वहां कुछ विचार रखना शुरू करते हैं और आप वास्तव में कौन हैं और आप वास्तव में क्या सोचते हैं, इसके बारे में आप पूरी तरह से जागरूक हो जाते हैं।
लेखन का एक निश्चित रहस्यमय गुण है जो आपके प्रामाणिक आत्म को दिखाने के लिए प्रोत्साहित करता है। जिस दिन आप अपने आत्म को जान जाओगे दुनिया बदल सकने की क्षमता आप के भीतर होगी. महर्षि अरविन्द, स्वामी विवेकानंद ने भी तो यही किया था ।