उत्तराखंड की लोक कला व संस्कृति को बड़ा सम्मान मिला है। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में कला निष्पादन केंद्र के संस्थापक प्रो. डीआर पुरोहित को लोक रंगमंच लोक संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया है।
प्रो. डीआर पुरोहित का परिचय :
गढ़वाल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर रहते हुए उन्होंने कला संस्कृति, रंगमंच व पहाड़ के परंपरागत वाद्य यंत्र ढोल सहित लोक कला जैसे विषयों पर निरंतर शोध किया और उसे पहचान दिलाई।
बचपन से ही रंगमंच से जुड़े डीआर पुरोहित ने 12 वर्ष की आयु में ही अपने गांव में ड्रामा क्लब भी गठित किया। उनके निर्देशन व मार्गदर्शन में चक्रव्यू, पांच भै कठैत, बुढ़देवा, नंदादेवी राजजात 36 नाटक प्रस्तुत हुए हैं। इसके अलावा देश-विदेश में लोक संस्कृति को लेकर उन्होंने तकरीबन दौ सौ लेक्चर भी दिए हैं। लोक संस्कृति को लेकर किए गए उनके शोध भावी पीढ़ी को मार्गदर्शन भी दे रहे हैं।
प्रो. डीआर पुरोहितका मानना हैं कि वह उत्तराखंड की लोक कला व रंगमंच को राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिलना लोक कला व रंगमंच का सम्मान है। इससे रंगकर्मी व लोककर्मी भी उत्साहित होंगे। उन्होंने सिर्फ लोक कला, लोक संस्कृति को पहचान दिलाने का प्रयास किया है।