वाराणसी, जेएनएन। पर्यटन विस्तार के लिए बजट में भरपूर प्रावधान के बाद भी संबंधित महकमा वित्तीय सत्र के अंतिम दिन बुधवार तक अपने 198 करोड़ रुपये का इंतजार करता रहा। वर्ष 200-21 के बजट में लैैंड बैैंक के लिए जमीन खरीद के मद में 198 करोड़ रुपये की व्यवस्था बनाई गई थी। इसके लिए पर्यटन विभाग के आग्रह पर जिला प्रशासन की ओर से शासन को पत्र लिखा गया था ताकि जमीन खरीदी जा सके। होली के दूसरे दिन मंगलवार को बड़ी उम्मीद से अफसर मेल पर नजरें गड़ाए रहे। देर रात तक भी उम्मीदों का दामन न टूटा। अब बुधवार रात तक धन एसएलओ के खाते में न आए तो पर्यटन विस्तार के लिहाज से जरूरी बड़ी धनराशि लैप्स हो जाएगी।
दरअसल, हाल के वर्षों में प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के बाद जमीनों की खोजबीन शुरू होती थी। इसमें या तो प्रोजेक्ट विलंबित होते थे या जमीन न मिलने पर पैसा वापस करना होता था। इससे सरकार की किरकिरी भी होती थी। ऐसे में पर्यटन विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए तय किया गया कि एक भरा-पूरा लैैंड बैंक तैयार किया जाए ताकि जरूरत पडऩे पर उसका उपयोग किया जा सका। इसमें एक बड़ा उद्देश्य यह भी समाहित था कि जन जरूरत अनुसार दूसरे विभागों को इसमें से जमीन स्थानांतरित की जा सके।
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Publish Date:Wed, 31 Mar 2021 05:42 PM (IST)Author: Saurabh Chakravarty
पर्यटन विस्तार के लिए बजट में भरपूर प्रविधान के बाद भी संबंधित महकमा वित्तीय सत्र के अंतिम दिन बुधवार तक अपने 198 करोड़ रुपये का इंतजार करता रहा। वर्ष 200-21 के बजट में लैैंड बैैंक के लिए जमीन खरीद के मद में 198 करोड़ रुपये की व्यवस्था बनाई गई थी।
वाराणसी, जेएनएन। पर्यटन विस्तार के लिए बजट में भरपूर प्रावधान के बाद भी संबंधित महकमा वित्तीय सत्र के अंतिम दिन बुधवार तक अपने 198 करोड़ रुपये का इंतजार करता रहा। वर्ष 200-21 के बजट में लैैंड बैैंक के लिए जमीन खरीद के मद में 198 करोड़ रुपये की व्यवस्था बनाई गई थी। इसके लिए पर्यटन विभाग के आग्रह पर जिला प्रशासन की ओर से शासन को पत्र लिखा गया था ताकि जमीन खरीदी जा सके। होली के दूसरे दिन मंगलवार को बड़ी उम्मीद से अफसर मेल पर नजरें गड़ाए रहे। देर रात तक भी उम्मीदों का दामन न टूटा। अब बुधवार रात तक धन एसएलओ के खाते में न आए तो पर्यटन विस्तार के लिहाज से जरूरी बड़ी धनराशि लैप्स हो जाएगी।
दरअसल, हाल के वर्षों में प्रोजेक्ट स्वीकृत होने के बाद जमीनों की खोजबीन शुरू होती थी। इसमें या तो प्रोजेक्ट विलंबित होते थे या जमीन न मिलने पर पैसा वापस करना होता था। इससे सरकार की किरकिरी भी होती थी। ऐसे में पर्यटन विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए तय किया गया कि एक भरा-पूरा लैैंड बैंक तैयार किया जाए ताकि जरूरत पडऩे पर उसका उपयोग किया जा सका। इसमें एक बड़ा उद्देश्य यह भी समाहित था कि जन जरूरत अनुसार दूसरे विभागों को इसमें से जमीन स्थानांतरित की जा सके।
टीएफसी के आसपास का इलाका मुफीद
लैैंड बैैंक के लिए पर्यटन विभाग की नजर बड़ालालपुर स्थित ट्रेड फैसीलिटेशन सेंटर के आसपास के इलाके पर है। इसका खाका खींचने के साथ कुछ किसानों से संपर्क भी किया जा चुका है। दरअसल, यह इलाका लालबहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट बाबतपुर से नजदीक तो है ही रूट भी फर्राटेदार है। वहां से पर्यटक रिंग रोड होते 20-25 मिनट में यहां तक आ सकता है और मिनटों में सारनाथ तक जा सकता है। सारनाथ से कनेक्टिविटी बढऩे से रूट राजघाट तक भी आसान होने जा रहा है।
पिंडरा में भी तैयार किया जा रहा लैंड बैंक
पर्यटन विभाग फिलहाल पिंडरा में लैैंड बैैंक तैयार कर रहा है। इसके लिए पूर्व में आवंटित 250 करोड़ रुपये में से 217 करोड़ खर्च कर 319 एकड़ जमीन खरीदी जा चुकी है। वहां अभी 31 एकड़ और जमीन खरीदी जा रही है।
प्रोजेक्ट जिन्हें चाहिए जमीन
संगीत महाविद्यालय, नेशनल स्कूल आफ ड्रामा, नाट्य अकादमी, सिटी म्यूजियम, कौशल विकास विश्वविद्यालय आदि। इसके अलावा रेती में टेंट सिटी प्रस्तावित जरूर है, लेकिन उससे इतर की बात आने पर बड़े भूखंड की आवश्यकता होगी जिसके लिए रिंगरोड साइड का इलाका मुफीद होगा।