गर्मी की छुट्टी में हिल स्टेशन जाना सस्ता हो सकता है। परिवहन मंत्रालय पर्यटन बसों के लिए पहली अप्रैल से नया नियम लागू करने जा रहा है। इससे पर्यटन बस मालिकों को प्रत्येक राज्यों में अलग-अलग पैसेंजर टैक्स नहीं देना पड़ेगा। केवल केंद्रीय पैसेंजर टैक्स ही देना पड़ेगा।
पर्यटन उद्योग को फिर से बढ़ावा देने के लिए देखो अपना देश अभियान चलाया जा रहा है। इसके बाद पर्यटन उद्योग से जुड़े विभाग लगातार नियमों में बदलाव कर रहे हैं। पर्यटन के लिए देश विदेश के नागरिकों को आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। उद्योग के लिए बसों की प्रमुख भूमिका होती है। इसके लिए बस मालिकों को अखिल भारतीय पर्यटक परमिट व अनुमति पत्र परिवहन विभाग से लेना होता है। वर्तमान में बस मालिकों को परमिट लेने के लिए एक साल का शुल्क देना पड़ता है और जिस-जिस राज्य से बसें गुजरती हैं, उन सभी राज्यों को अलग-अलग पैसेंजर टैक्स देना पड़ता है। उदाहरण के लिए हरियाणा से उत्तराखंड के नैनीताल जाने वाली पर्यटक बस को दिल्ली, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकार को पैसेंजर टैक्स देना पड़ता है। प्रत्येक राज्य का पैसेंजर टैक्स भी अलग-अलग होता है। अधिक टैक्स देने के कारण बसों का किराया अधिक होता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अधिसूचना जीएसआर 166 (ई), दस मार्च 2021 जारी की है। इसे अखिल भारतीय पर्यटक वाहन प्राधिकरण और परमिट रुल 2021 नाम दिया गया है। इसके बाद पर्यटन परिमट लेने को वालों को एक साल के बजाय तीन माह का ही शुल्क देना होगा यानी जितने दिन बस चलेगी उतना ही शुल्क देना पड़ेगा। इसके अलावा प्रत्येक राज्यों को पैसेंजर टैक्स देने के बजाय केंद्र सरकार को पैसेंजर टैक्स देना होगा। अलग अलग गाड़ी व सीट के आधार पर पैसेंजर टैक्स लिया जाएगा। संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) आरआर सोनी ने बताया कि पहली अप्रैल से नया नियम लागू हो जाएगा। बस मालिकों को टैक्स कम देना पड़ेगा तो किराया भी कम हो जाएगा। नए नियम में परमिट लेना आसान हो जाएगा। नए नियम के बाद पर्यटन उद्योग को बढ़ावा भी मिलेगा।