उत्तराखंड विधानसभा में पहाड़ी अस्मिता पर घमासान

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उत्तराखंड विधानसभा में विवाद गहराया: पहाड़ी पहचान पर छिड़ी बहस

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान प्रदेश की राजनीति गरमा गई। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट के बीच तीखी बहस हुई, जो अब पहाड़ और पहाड़ी अस्मिता के मुद्दे पर केंद्रित हो गई है। सदन में हुई इस नोकझोंक का असर बाहर भी देखने को मिल रहा है, जहां कई संगठनों और आम जनता ने भी विरोध जताना शुरू कर दिया है।

यह पूरा विवाद तब और बढ़ गया जब मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट पर शराब पीकर सदन में आने का आरोप लगाया। इस बयान से आहत विधायक ने इसे अपनी मानहानि बताते हुए मंत्री को कानूनी नोटिस भेजने की बात कही। शुक्रवार को सदन में एक बार फिर दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हुई।

मदन बिष्ट ने जब सदन में पहाड़ और पहाड़ी पहचान को लेकर अपनी बात रखी, तो इस पर मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने आक्रामक प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किया कि आखिर अब उत्तराखंड में असली पहाड़ी बचा ही कौन है? उन्होंने यह तक कह डाला कि कोई मध्य प्रदेश से आया है, तो कोई राजस्थान से। इस बयान से सदन का माहौल तनावपूर्ण हो गया और मंत्री के मुंह से कुछ असंसदीय शब्द भी निकल गए।

मंत्री के इस बयान का वीडियो तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद शुक्रवार की रात को ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। लोग मोमबत्तियां जलाकर सड़कों पर उतर आए और मंत्री के बयान की आलोचना करने लगे। यह मामला अब केवल सदन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सड़कों और सोशल मीडिया पर भी जमकर चर्चा में आ गया है।

सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारी, मंत्री के खिलाफ उग्र विरोध

कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट ने मीडिया से बातचीत में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को “हाई ब्लड प्रेशर का मरीज” तक कह दिया और कहा कि पहाड़ के विरोध में जाने वाले लोग दुर्व्यवहार के लायक हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उत्तराखंड आंदोलन से जन्मा राज्य है और इसकी अस्मिता की रक्षा के लिए हरसंभव लड़ाई लड़ी जाएगी।

इस विवाद के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी भाजपा सरकार के खिलाफ हमलावर हो गए हैं। उन्होंने इस बयान को उत्तराखंड की अस्मिता के खिलाफ बताया और कहा कि भाजपा सरकार पहाड़ और पहाड़ी पहचान को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

राजनीतिक दलों के अलावा सामाजिक संगठनों ने भी मंत्री के बयान की निंदा की है। विभिन्न जिलों में भाजपा सरकार और मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारियां की जा रही हैं। कई स्थानों पर लोग मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

भाजपा के लिए बढ़ी मुश्किलें, कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी

इस विवाद ने भाजपा के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोल रहे हैं और इसे प्रदेश की अस्मिता से जुड़ा गंभीर मामला बता रहे हैं। कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट ने साफ शब्दों में कहा कि जो लोग उत्तराखंड और उसकी पहाड़ी पहचान का अपमान करेंगे, उनके खिलाफ जोरदार आंदोलन छेड़ा जाएगा।

इधर, बढ़ते विवाद को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने विधायक मदन बिष्ट को संयम बरतने और शांत रहने की हिदायत दी, ताकि मामला और ज्यादा न भड़के। हालांकि, इस विवाद को खत्म करने के लिए अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।

मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं उत्तराखंड आंदोलन से जुड़े रहे हैं और अगर उन्हें अपनी उत्तराखंडी पहचान साबित करनी पड़ेगी, तो वे इसके लिए भी तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणी को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और इसे गलत संदर्भ में दिखाया जा रहा है।

राजनीतिक समीकरणों पर असर, भाजपा के लिए संकट गहराया

यह विवाद अब केवल विधानसभा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पूरे राज्य में इसका असर दिख रहा है। पहाड़ और पहाड़ी अस्मिता से जुड़ा यह मामला भाजपा के लिए एक नई मुसीबत बन सकता है, क्योंकि राज्य की जनता की भावनाएं इस विषय से गहराई से जुड़ी हुई हैं। अगर इस मुद्दे को सही तरीके से नहीं संभाला गया, तो आगामी चुनावों में भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कांग्रेस ने इस विवाद को पूरी तरह से भुनाने की तैयारी कर ली है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि अगर मंत्री ने अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगी, तो वे इस मुद्दे को लेकर प्रदेशभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे।

भाजपा के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि राज्य में कई लोग इस विवाद को उत्तराखंड की अस्मिता और पहाड़ की पहचान से जोड़कर देख रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला और कितना आगे बढ़ता है और भाजपा इसे संभालने में कितनी सफल होती है।

फिलहाल, उत्तराखंड की राजनीति में उबाल आ चुका है और यह विवाद जल्द शांत होता नहीं दिख रहा है।

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