साइबर ठगों पर बड़ी कार्रवाई: टिकट बुकिंग के नाम पर ठगने वाली 28 फर्जी वेबसाइटें बंद

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हेली बुकिंग के नाम पर साइबर ठगी का भंडाफोड़: पुलिस ने 28 फर्जी वेबसाइटों को कराया बंद, विशेष टीम सोशल मीडिया पर भी रख रही नजर

देहरादून। केदारनाथ यात्रा के लिए हेली सेवा की ऑनलाइन बुकिंग शुरू होते ही जहां श्रद्धालुओं में उत्साह देखा गया, वहीं साइबर अपराधी भी तुरंत सक्रिय हो गए। श्रद्धालुओं को ठगने के इरादे से कई फर्जी वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पेज तैयार किए गए, जो आईआरसीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट की हूबहू नकल थे। इन वेबसाइटों के ज़रिए टिकट बुकिंग का झांसा देकर लोगों से ठगी की जा रही थी।

साइबर ठगों की इस चाल को भांपते हुए उत्तराखंड साइबर थाना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अब तक 28 फर्जी वेबसाइटों को बंद कराया है। यह कार्रवाई अप्रैल माह की शुरुआत से की जा रही है, जब आईआरसीटीसी ने आधिकारिक रूप से हेली बुकिंग की प्रक्रिया शुरू की थी।

आईआरसीटीसी की वेबसाइट से मिनटों में बुक हुए हजारों टिकट

इस साल अप्रैल की शुरुआत में जैसे ही आईआरसीटीसी (IRCTC) की आधिकारिक वेबसाइट पर केदारनाथ यात्रा के लिए हेली बुकिंग शुरू हुई, कुछ ही मिनटों में हजारों श्रद्धालुओं ने टिकट बुक कर लिए। लेकिन इस भीड़भाड़ और टिकट की भारी मांग को देखते हुए साइबर ठगों ने फर्जी वेबसाइटें और मोबाइल नंबर सक्रिय कर दिए, जिससे कई श्रद्धालु ठगी का शिकार होते-होते बचे या हो गए।

सीओ साइबर अंकुश मिश्रा ने बताया कि ये फर्जी वेबसाइटें आईआरसीटीसी की आधिकारिक वेबसाइट से मिलती-जुलती डिजाइन रखती हैं, जिससे आम लोगों को भ्रमित करना आसान हो जाता है। इनमें अक्सर फर्जी हेल्पलाइन नंबर या संपर्क नंबर डाले जाते हैं, ताकि लोग उन नंबरों पर कॉल करें और साइबर ठग उन्हें झांसे में लेकर पैसे हड़प सकें।

“आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर कभी भी किसी प्रकार का मोबाइल या फोन नंबर नहीं होता। बुकिंग की संपूर्ण प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होती है। ऐसे में अगर किसी वेबसाइट पर संपर्क नंबर दिया गया है, तो समझ लें कि वह फर्जी है, सीओ अंकुश मिश्रा ने स्पष्ट किया।

शिकायतों के आधार पर बड़ी कार्रवाई

पुलिस के अनुसार, श्रद्धालुओं से लगातार मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए साइबर थाना द्वारा इन वेबसाइटों की पहचान की गई और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के सहयोग से उन्हें ब्लॉक कराया गया। इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है, जहां से फर्जी पेज या लिंक साझा किए जाते हैं।

साइबर ठगों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए एक विशेष जांच एवं निगरानी टीम गठित की गई है, जो न केवल वेबसाइटों बल्कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर चल रहे प्रचार-प्रसार पर भी नजर रख रही है। अब तक इस टीम की सक्रियता से कई संदिग्ध सोशल मीडिया पेज भी बंद कराए जा चुके हैं।

पिछले वर्षों की तुलना में क्या है स्थिति?

सीओ अंकुश मिश्रा के अनुसार, सिर्फ एक माह के भीतर 28 वेबसाइटों को बंद कराना यह दर्शाता है कि साइबर अपराधियों की सक्रियता कितनी तेज हो गई है। वर्ष 2023 में भी करीब 30 वेबसाइटें बंद कराई गई थीं, जबकि पूरे साल 2024 में कुल 62 वेबसाइटों को बंद कराया गया था। यह तुलना साफ दर्शाती है कि 2025 की शुरुआत से ही साइबर ठगों की गतिविधियां बेहद सक्रिय और योजनाबद्ध हो गई हैं। इस वर्ष केवल कुछ ही सप्ताहों में जितनी फर्जी वेबसाइटों को बंद किया गया है, वह पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से हुई कार्रवाई का संकेत है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधी अब धार्मिक आस्थाओं और तीर्थ यात्राओं जैसे संवेदनशील विषयों को निशाना बनाकर ठगी के नए-नए तरीके अपना रहे हैं।

केदारनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की आस्था का लाभ उठाकर साइबर ठगों द्वारा की जा रही ठगी पर साइबर पुलिस की त्वरित और कड़ी कार्रवाई सराहनीय है। ऐसे अपराधों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों की सजगता और तत्परता न सिर्फ अपराधियों पर लगाम कस रही है, बल्कि आम लोगों को भी सजग रहने का संदेश दे रही है। तीर्थ यात्राओं के दौरान लाखों श्रद्धालु ऑनलाइन सेवाओं के माध्यम से यात्रा से जुड़ी बुकिंग कराते हैं, ऐसे में यदि उन्हें फर्जी वेबसाइटों द्वारा ठगा जाता है तो यह उनकी आस्था को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य बन जाता है।

ऐसे मामलों से बचाव के लिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है। यात्रियों को चाहिए कि वे केवल प्रमाणिक और अधिकृत स्त्रोतों से ही सेवा लें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों को दें। इसके साथ ही सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फैलाई जा रही झूठी या भ्रामक सूचनाओं से सतर्क रहना आवश्यक है। साइबर अपराध के बढ़ते दायरे को देखते हुए समय की मांग है कि हर नागरिक डिजिटल सतर्कता को अपनाए और किसी भी प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी से स्वयं को सुरक्षित रखे

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