देहरादून। अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में आज न्यायालय द्वारा अहम फैसला सुनाया गया। न्यायालय ने तीनों दोषसिद्ध आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए साथ ही प्रत्येक पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस फैसले के साथ ही लगभग दो वर्षों से न्याय की आस लगाए बैठे अंकिता के परिजनों और समाज को कुछ राहत मिली है।
विदित हो कि यह मामला 18 सितंबर 2022 की रात का है, जब पौड़ी गढ़वाल निवासी अंकिता भंडारी, जो ऋषिकेश के समीप स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्यरत थी, अचानक लापता हो गई थी। अंकिता के अचानक गायब होने के बाद उसके पिता ने स्थानीय प्रशासन और राजस्व पुलिस से संपर्क किया, लेकिन आरोप है कि उन्हें लगातार टाला जाता रहा। कई बार कार्यालयों के चक्कर काटने के बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। राजस्व पुलिस की लापरवाही से पीड़ित परिजनों को काफी मानसिक कष्ट सहना पड़ा।
यह मामला तब चर्चा में आया जब अंकिता की गुमशुदगी को लेकर सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में तीव्र प्रतिक्रिया सामने आई। जब लोगों में रोष बढ़ा तो मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने जांच तेज की और वनंत्रा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, जो एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखता है, को हिरासत में लिया गया। उसके साथ ही उसके दो अन्य सहयोगी – सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
पूछताछ के दौरान आरोपियों द्वारा दिए गए बयान के आधार पर पुलिस ने चीला नहर से अंकिता का शव बरामद किया। इस घटना ने पूरे उत्तराखंड समेत देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ा दी थी। लोगों ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की थी और कई स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन भी किए गए थे।
मामले की सुनवाई लगातार न्यायालय में चलती रही और अनेक साक्ष्यों, गवाहों और परिस्थितिजन्य तथ्यों के आधार पर अदालत ने यह सिद्ध पाया कि पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता ने मिलकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया। आज के फैसले में अदालत ने तीनों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 50 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया है।
इस निर्णय से यह संदेश जाता है कि कानून के सामने कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, दोष सिद्ध होने पर उसे सजा अवश्य मिलती है। वहीं, अंकिता भंडारी के माता-पिता और शुभचिंतकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण न्यायिक उपलब्धि है, जिन्होंने पिछले दो वर्षों से लगातार न्याय के लिए संघर्ष किया।
अदालत का यह फैसला न सिर्फ अंकिता को न्याय दिलाने का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि महिला सुरक्षा और न्याय के क्षेत्र में समाज और न्याय प्रणाली की जिम्मेदारी कितनी अहम है।
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