कैंची धाम बाईपास को मिली मंजूरी, गुलाब घाटी के लिए स्वीकृत हुई वन भूमि

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कैंची धाम बाईपास की सभी आपत्तियाँ दूर, गुलाब घाटी के लिए वन भूमि भी स्वीकृत

सांसद अजय भट्ट ने किया निर्माण कार्य शीघ्र शुरू होने का ऐलान

हल्द्वानी। नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से सांसद एवं पूर्व केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने जानकारी दी है कि कैंची धाम बाईपास परियोजना से जुड़ी सभी आपत्तियाँ अब समाप्त कर दी गई हैं। 19 किलोमीटर लंबे इस बाईपास में 8 किलोमीटर का निर्माण कार्य पहले ही पूर्ण हो चुका है, जबकि शेष 11 किलोमीटर के कार्य के लिए पहाड़ कटान की निविदा आमंत्रित की जा चुकी है।

सांसद भट्ट ने बताया कि 450 लाख रुपए की लागत से बनने वाला यह बाईपास तीन चरणों में पूरा किया जाएगा:

  • प्रथम चरण: पहाड़ कटान और 70 मीटर लंबे पुल (सेतु) का निर्माण

  • द्वितीय चरण: दीवार और कलमठ निर्माण

  • तृतीय चरण: सड़क पर डामरीकरण कार्य

उन्होंने बताया कि यह परियोजना जुलाई 2025 से प्रारंभ होकर 18 माह में पूर्ण की जाएगी।

गुलाब घाटी के लिए मिली वन भूमि

श्री भट्ट ने यह भी बताया कि काठगोदाम से अमृतपुर बैंड तक प्रस्तावित बाईपास के लिए वन भूमि हस्तांतरण में आई आपत्तियों का समाधान भी कर लिया गया है। वन संरक्षक (नोडल कार्यालय), देहरादून द्वारा क्षतिपूरक वृक्षारोपण को लेकर जो आपत्ति उठाई गई थी, उसके तहत रामनगर के पास 7.8 हेक्टेयर डी-ग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड चिह्नित कर दी गई है। इससे इस बाईपास निर्माण का रास्ता अब पूरी तरह साफ हो गया है।

पर्यटन और यातायात व्यवस्था को मिलेगा लाभ

सांसद ने कहा कि इन बाईपास मार्गों के बन जाने से हल्द्वानी और काठगोदाम की यातायात व्यवस्था में बड़ा सुधार होगा। पर्वतीय क्षेत्रों की ओर जाने वाले वाहनों और पर्यटकों को वैकल्पिक मार्ग मिलने से भीड़-भाड़ कम होगी और यात्रा अधिक सुगम हो सकेगी।

उन्होंने स्पष्ट किया कि काठगोदाम-अमृतपुर बाईपास और कैंची धाम बाईपास दो अलग-अलग परियोजनाएं हैं और दोनों के निर्माण कार्य जल्द ही प्रारंभ होंगे। इससे कुमाऊँ आने-जाने वाले यात्रियों और पर्यटकों को काफी सहूलियत मिलेगी।

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