उत्तराखंड वन विभाग में लंबे समय से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया को लेकर बड़ी राहत की खबर आई है। विभाग में कार्यरत 76 वन दरोगाओं को पदोन्नति देकर उप वन क्षेत्राधिकारी (एसीएफ रैंक) बनाया गया है। इस संबंध में आदेश अपर प्रमुख वन संरक्षक मीनाक्षी जोशी द्वारा जारी किए गए हैं।
सेवा पुस्तिका में दर्ज होगी पदोन्नति
जारी आदेश के अनुसार, सभी पदोन्नत अधिकारियों की पदोन्नति की जानकारी उनके व्यक्तिगत सेवा अभिलेख (सर्विस बुक) में विधिवत दर्ज की जाएगी। यह प्रविष्टि उनके सेवा रिकॉर्ड का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगी और भविष्य की प्रशासनिक प्रक्रियाओं में काम आएगी।
वर्तमान तैनाती स्थल पर करना होगा योगदान
पदोन्नत अधिकारियों को फिलहाल अपने वर्तमान कार्यस्थल पर ही उप वन क्षेत्राधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण करना होगा। उनकी नई तैनाती के आदेश विभाग द्वारा पृथक से जारी किए जाएंगे। यदि कोई अधिकारी पदोन्नति स्वीकार नहीं करता या जानबूझकर पदभार ग्रहण करने से इंकार करता है, तो उसके विरुद्ध “उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं में पदोन्नति का परित्याग नियमावली 2024” के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें पदोन्नति निरस्त करने के साथ-साथ वरिष्ठता और भविष्य की पदोन्नतियों पर असर पड़ सकता है।
छूट नीति बनी आधार
इस बार की पदोन्नति प्रक्रिया में विभाग द्वारा छूट नीति (Relaxation Policy) लागू की गई, जिससे ऐसे कार्मिकों को लाभ मिला जो सामान्य मानकों को पूरा नहीं कर पाए थे, परंतु जिनकी सेवा, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा उत्कृष्ट रही। इस नीति का उद्देश्य समर्पित कर्मियों को आगे बढ़ने का अवसर देना और मानव संसाधन नीतियों को और अधिक व्यावहारिक व संवेदनशील बनाना रहा।
पदोन्नत अधिकारियों की सूची
पदोन्नत होने वालों में प्रमुख नाम हैं:
प्रवीण सिंह, शिव प्रसाद भट्ट, भजन सिंह रावत, दयालाल, जगत सिंह, दीप चंद्र पांडे, राधिका जोशी, किशन चंद्र भगत, चंदन राम, चंद्रशेखर उप्रेती, भगवती उपाध्याय, लीला मठपाल, तारा दत्त सेमवाल, गणेश दत्त सती, सोबन राम, कमल किशोर, मंजू बहुगुणा, होरी लाल, देवकी नंदन आदि।
प्रशासनिक मजबूती की दिशा में कदम
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की पदोन्नतियां न केवल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाती हैं, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली और प्रशासनिक क्षमता को भी मजबूती प्रदान करती हैं।
Leave a Reply