10 गांवों को मॉडल टूरिस्ट विलेज बनाने की योजना, सीमा पर पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

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चीन सीमा से सटे 10 गांव बनेंगे मॉडल पर्यटक ग्राम, 75 करोड़ की कार्ययोजना तैयार

वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत नेपाल सीमा से लगे 40 गांवों के विकास की भी तैयारी

देहरादून। भारत-चीन सीमा से लगे दुर्गम गांवों में अब विकास और पर्यटन की नई बयार बहने जा रही है। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड के चीन सीमा से सटे 10 गांवों को मॉडल पर्यटक ग्राम के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इस पर 75 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा नेपाल सीमा से सटे 40 गांवों के विकास की रूपरेखा भी तेजी से तैयार की जा रही है, ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके और वहां रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकें।

तीन जिलों के गांव होंगे मॉडल टूरिज्म हब

चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों के ये 10 गांव चुने गए हैं जिन्हें थीम आधारित पर्यटन गांव के तौर पर संवारा जाएगा। इनमें उत्तरकाशी जिले के जादूंग और बगौरी, चमोली जिले के माणा और नीती, और पिथौरागढ़ जिले के गुंजी, गर्ब्यांग, नपलच्यू, नाभी, राककांग और कुटी शामिल हैं।

पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन की साझेदारी में इन गांवों के विकास की विस्तृत योजना बनाई गई है। प्रस्तावित योजनाओं में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, होमस्टे निर्माण, ग्रामीण पर्यटन के लिहाज से बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, सांस्कृतिक हेरिटेज ट्रेल, थीम आधारित पर्यटन स्थल और स्थानीय शिल्प एवं उत्पादों के लिए बाजार व्यवस्था शामिल हैं।

गांवों को दी जाएगी विशेष थीम

इन गांवों को विशिष्ट पर्यटन थीम के अनुरूप विकसित किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर –

  • गुंजी को शिवधाम के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।

  • नीती गांव को शैव सर्किट के हिस्से के रूप में विकसित करने की योजना है।

  • इसी तरह, अन्य गांवों की भी अपनी विशिष्ट थीम तय की गई है, ताकि हर गांव का अलग पर्यटन आकर्षण स्थापित किया जा सके।

योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कार्यदायी संस्थाओं का चयन कर लिया गया है। इन गांवों के विकसित होने पर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, जिससे सीमांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

CSR मद से भी विकास कार्य प्रस्तावित

चमोली जिले के माणा और नीती गांवों में विकास कार्यों के लिए 131 करोड़ रुपये की योजनाएं कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत प्रस्तावित हैं। यहां बुनियादी ढांचे के साथ-साथ पर्यटन सुविधाओं को भी उच्च स्तर पर विकसित किया जाएगा।

नेपाल सीमा के 40 गांवों के विकास की भी तैयारी

वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के पहले चरण की सफलता के बाद, अब वाइब्रेंट विलेज 2.0 के तहत नेपाल सीमा से सटे 40 गांवों को भी शामिल किया गया है। इनमें चंपावत जिले के 11, पिथौरागढ़ के 24 और ऊधम सिंह नगर जिले के 5 गांव शामिल हैं।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन और सचिव ग्राम्य विकास राधिका झा के निर्देशन में इन गांवों के लिए विकास का खाका तैयार किया जा रहा है। जिलाधिकारियों को गांववार संभावित कार्यों की सूची बनाने और जल्द कार्ययोजना शासन को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है।

विकास कार्यों की सघन निगरानी

वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत चल रहे विकास कार्यों की संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारियों के जरिए निगरानी की जा रही है। ये अधिकारी संबंधित जिलों के मुख्य विकास अधिकारियों (CDO) से नियमित संपर्क में रहते हैं। कार्यों की प्रगति पर नजर रखने के लिए डैशबोर्ड सिस्टम लागू किया गया है, जिसके माध्यम से हर 10 दिन में प्रगति की समीक्षा की जाएगी।

अनुराधा पाल, अपर सचिव एवं उत्तराखंड में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की नोडल अधिकारी ने कहा –

“वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम से न सिर्फ सीमांत गांवों में बुनियादी सुविधाएं मजबूत होंगी, बल्कि स्थानीय आजीविका के लिए पर्यटन और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे। सीमांत क्षेत्र में आबादी को बनाए रखने और सुरक्षा की दृष्टि से भी यह कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।”

सीमांत इलाकों को मिलेगा नया जीवन

गौरतलब है कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के पहले चरण में चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के तीन जिलों के 51 गांवों को शामिल किया गया था। इन गांवों में सड़क, बिजली, पेयजल, इंटरनेट, स्वास्थ्य सेवाओं और आजीविका के क्षेत्र में अनेक कार्य प्रगति पर हैं। अब इनमें से 10 गांवों को मॉडल पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

इस महत्वाकांक्षी योजना के पूरी तरह लागू हो जाने पर सीमांत इलाकों में न सिर्फ विकास की रफ्तार तेज होगी, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी देश की सीमाएं और अधिक सुदृढ़ होंगी

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