भाजपा में आंतरिक हलचल पर सीएम धामी का सख्त संदेश: “कौन क्या कर रहा है, नेतृत्व को सब पता है”
देहरादून। उत्तराखंड भाजपा में संगठनात्मक बदलाव और आंतरिक समीकरणों की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के हालिया बयानों ने सियासी हलकों में नई बहस छेड़ दी है। दोनों नेताओं के वक्तव्यों को पार्टी के अंदरूनी हालात और भविष्य की रणनीतियों से जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल, महेंद्र भट्ट का एक बयान हाल ही में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। लगभग 36 सेकंड की इस वीडियो क्लिप में भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कार्यकाल के लिहाज से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का रिकॉर्ड तोड़ेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि 2027 का विधानसभा चुनाव सीएम धामी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और भाजपा पुनः सरकार बनाएगी, जिसमें धामी ही मुख्यमंत्री होंगे।
भट्ट के इस बयान को संगठन के भीतर चल रही खींचतान के बीच एक साफ राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव की पृष्ठभूमि में संगठन के भीतर कई गुट सक्रिय थे। लगभग आधा दर्जन नाम प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में चर्चा में थे, जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रीय और राजनीतिक गुटों का समर्थन मिल रहा था।
भाजपा के भीतर एक बड़ा वर्ग चाहता था कि इस बार संगठन अध्यक्ष की जिम्मेदारी गढ़वाल के बजाय कुमाऊं क्षेत्र के किसी नेता को दी जाए, ताकि क्षेत्रीय संतुलन स्थापित किया जा सके। यह कोशिश 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संगठनात्मक बदलाव और नई टीम के गठन की ओर एक कदम के रूप में देखी जा रही थी।
सूत्र बताते हैं कि इस गुटीय खींचतान की गूंज दिल्ली तक भी पहुंची थी। प्रदेश के विभिन्न गुटों के नेता लगातार दिल्ली जाकर अपने-अपने पक्ष रख रहे थे। यहां तक कि कुछ नेताओं ने 2027 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक नई टीम के गठन और बड़े बदलाव का बहुआयामी प्रस्ताव भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष रखा था।
ऐसे में, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मंगलवार को प्रांतीय परिषद की बैठक में दिया गया बयान अहम माना जा रहा है। सीएम धामी ने कहा, “झूठी खबरें और भ्रामक प्रचार ज्यादा समय तक नहीं चलते। सच सामने आ ही जाता है। पार्टी का कौन नेता और कार्यकर्ता क्या कर रहा है, इसकी जानकारी नेतृत्व को होती है। पार्टी नेतृत्व काम के आधार पर ही मूल्यांकन करता है।”
सीएम धामी का यह बयान साफ संकेत देता है कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के दौरान पार्टी के भीतर सबकुछ सहज नहीं था। संगठन में नेतृत्व को लेकर अलग-अलग स्तर पर चर्चाएं और प्रयास चल रहे थे, जिन पर मुख्यमंत्री की नजर बनी हुई थी।
महेंद्र भट्ट के पुनः अध्यक्ष बनने के पीछे भी मुख्यमंत्री धामी की स्पष्ट भूमिका मानी जा रही है। भट्ट के समर्थन में सीएम धामी का रुख पहले ही साफ हो चुका था, जिससे उनके दोबारा अध्यक्ष बनने की अटकलें तेज हो गई थीं। अंततः पार्टी नेतृत्व ने भी भट्ट पर भरोसा जताते हुए उन्हें ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के बयानों में संगठनात्मक स्थिरता बनाए रखने और संभावित गुटबाजी को नियंत्रित करने का संदेश छिपा है। हालांकि भाजपा के भीतर अगले कुछ महीनों में और बदलावों की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा रहा। पार्टी के भीतर आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति पर मंथन जारी है और इस दौरान गुटीय समीकरणों का असर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
पार्टी के सियासी गलियारों में पिछले 48 घंटों के भीतर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के बयानों के निहितार्थों पर चर्चा तेज है। भाजपा के क्षत्रपों के अगले कदम और नेतृत्व के संभावित फैसलों पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में भाजपा अपनी आंतरिक एकजुटता किस तरह बनाए रखती है और भविष्य की रणनीति को किस दिशा में आगे बढ़ाती है।
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