धार्मिक स्थलों के नाम पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं: सीएम धामी

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सीएम धामी की सख्ती: कुंडेश्वरी में पांच अवैध मजारें ध्वस्त, प्रदेशभर से 537 हटाई गईं

काशीपुर। उत्तराखंड सरकार ने धार्मिक स्थलों की आड़ में हो रहे अतिक्रमण पर सख्ती और तेज कर दी है। इसी क्रम में जिला प्रशासन ने गुरुवार को काशीपुर के कुंडेश्वरी क्षेत्र में बड़ी कार्रवाई करते हुए सरकारी भूमि पर बनीं पांच अवैध मजारों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देश पर की गई, जिन्होंने पहले ही दो टूक कहा था कि देवभूमि उत्तराखंड में धर्म के नाम पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आमबाग की जमीन पर अवैध कब्जा

जानकारी के मुताबिक, कुंडेश्वरी इलाके के सरकारी आमबाग की भूमि पर कुछ लोगों ने धार्मिक गतिविधियों की आड़ में अवैध रूप से मजारों के ढांचे खड़े कर लिए थे। स्थानीय प्रशासन को लंबे समय से इन अवैध निर्माणों की शिकायतें मिल रही थीं। अधिकारियों का कहना है कि इन ढांचों के जरिए धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश की जा रही थी, जिससे न केवल सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हो रहा था, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी खतरा पैदा हो सकता था।

नोटिस के बावजूद दस्तावेज नहीं पेश किए

जिला प्रशासन ने इन अवैध मजारों को लेकर कब्जाधारियों को कई बार नोटिस जारी किए। उनसे वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया, लेकिन निर्धारित समयसीमा तक कोई भी दस्तावेज सामने नहीं आए। इसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई की योजना तैयार की। गुरुवार सुबह एसडीएम अभय प्रताप सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल और राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पांचों अवैध मजारों को बुलडोजर की मदद से गिरा दिया गया। इस दौरान एहतियात के तौर पर भारी पुलिस बल तैनात रहा, ताकि किसी तरह की अप्रिय स्थिति न उत्पन्न हो।

प्रदेशभर में 537 अवैध मजारें हटाई गईं

मुख्यमंत्री धामी ने कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदेशभर में अब तक 537 अवैध मजारों को हटाया जा चुका है। उन्होंने दोहराया कि उत्तराखंड धार्मिक आस्था का केंद्र है और यहां हर धर्म का सम्मान किया जाता है, लेकिन इसकी आड़ में अवैध कब्जे कतई स्वीकार नहीं किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, “देवभूमि की गरिमा, कानून की सर्वोपरिता और सांस्कृतिक मर्यादा बनाए रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी को भी धार्मिक स्थलों के नाम पर जमीन हड़पने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।

केवल धर्म नहीं, कानून सर्वोपरि

सरकार का कहना है कि आस्था का सम्मान जरूर किया जाएगा, लेकिन आस्था के नाम पर सरकारी संसाधनों या भूमि पर कब्जा करने की प्रवृत्ति को सख्ती से रोका जाएगा। कुंडेश्वरी की कार्रवाई से स्पष्ट संदेश गया है कि सरकार सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर भी कानून का सख्ती से पालन करा रही है।

राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा

इधर, इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है। कुछ संगठनों ने सरकार के कदम को सही ठहराया है और कहा कि धार्मिक आस्था का दुरुपयोग किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए। वहीं, कुछ लोगों ने आशंका जताई है कि ऐसी कार्रवाइयों को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा सकता है। प्रशासन का कहना है कि सभी कार्रवाइयां कानून के दायरे में और निष्पक्ष तरीके से की जा रही हैं।

मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि जो भी सरकारी भूमि पर कब्जा करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से संबंध रखता हो। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अवैध अतिक्रमण की निगरानी लगातार की जाए और ऐसे मामलों पर तत्काल कार्रवाई की जाए

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