भारत में अर्जेंटीना की महिला को इंसाफ, होटल में यौन उत्पीड़न के दोषी को सजा

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अर्जेंटीना की महिला को भारत में मिला इंसाफ, होटल में हुआ था यौन उत्पीड़न; आरोपी दोषी करार

ऋषिकेश/नरेंद्रनगर। भारत में न्यायिक व्यवस्था ने एक विदेशी महिला को इंसाफ दिलाते हुए यह संदेश दिया है कि कोई भी अपराधी कानून के शिकंजे से नहीं बच सकता, चाहे मामला कितना भी संवेदनशील या अंतरराष्ट्रीय क्यों न हो। वर्ष 2020 में टिहरी जिले के ऋषिकेश स्थित तपोवन क्षेत्र के एक होटल में अर्जेंटीना की 27 वर्षीय महिला के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले में नरेंद्रनगर की अदालत ने आरोपी निखिल अरोड़ा को दोषी करार देते हुए एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है।

ऐसे सामने आया था मामला

यह मामला नवंबर 2020 का है। अर्जेंटीना की यह महिला ई-टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थी और ऋषिकेश के तपोवन क्षेत्र में एक होटल में ठहरी हुई थी। उस दौरान निखिल अरोड़ा नाम का एक युवक, जो स्थानीय निवासी है और होटल व्यवसाय से जुड़ा बताया जाता है, महिला के संपर्क में आया। जानकारी के अनुसार, होटल में एक पार्टी के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और अरोड़ा ने महिला को अपने कमरे में आराम करने के लिए आमंत्रित किया।

पीड़िता के मुताबिक, रात के वक्त अरोड़ा ने उसके साथ जबरदस्ती की और यौन उत्पीड़न किया। घटना के बाद महिला मानसिक रूप से बेहद परेशान हो गई और कुछ ही दिनों के भीतर भारत छोड़कर अपने देश लौट गई। शुरुआत में महिला इस घटना को लेकर असमंजस में थी और काफी डरी हुई थी। लेकिन कुछ समय बाद उसने ठान लिया कि वह आरोपी को सजा दिलाकर ही रहेगी।

हिम्मत जुटाकर दर्ज कराया मुकदमा

लगभग छह महीने तक मानसिक संघर्ष और सोच-विचार के बाद, पीड़िता ने आखिरकार 15 मई 2021 को उत्तराखंड के मुनिकीरेती थाने में निखिल अरोड़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने मामले की जांच तेज गति से शुरू की। महिला उपनिरीक्षक हिमानी पंवार को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। पुलिस की ओर से पीड़िता के बयान, होटल के सीसीटीवी फुटेज, होटल कर्मचारियों के बयान और अन्य साक्ष्य जुटाए गए।

पुलिस ने जांच पूरी कर 18 अगस्त 2021 को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। इसके बाद न्यायिक प्रक्रिया शुरू हुई। 15 जून 2022 को अदालत ने निखिल अरोड़ा के खिलाफ आरोप तय कर दिए और मुकदमे की बाकायदा सुनवाई शुरू हो गई।

न्याय पाने के लिए भारत लौटी पीड़िता

चार साल तक चली सुनवाई के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब मामला कमजोर होता नजर आ रहा था, क्योंकि मुख्य गवाह खुद पीड़िता भारत में मौजूद नहीं थी। लेकिन अभियोजन अधिकारी सहायक अभियोजन अधिकारी अनुराग वरुण ने पीड़िता से फोन पर संपर्क साधा और उन्हें भरोसा दिलाया कि भारत की न्याय प्रणाली उन पर अन्याय नहीं होने देगी।

इस विश्वास के चलते अर्जेंटीना की महिला विशेष तौर पर भारत लौटी और 20 जुलाई 2024 को नरेंद्रनगर की अदालत में पेश होकर अपना बयान दर्ज कराया। अदालत में उसकी गवाही बेहद अहम रही, जिसमें उसने विस्तार से घटना का पूरा ब्यौरा दिया। अभियोजन पक्ष ने कुल आठ गवाह पेश किए, लेकिन सबसे निर्णायक गवाही पीड़िता की रही।

न्यायालय का फैसला

सभी साक्ष्यों, मेडिकल रिपोर्ट, गवाहों के बयान और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रेया गुप्ता ने आरोपी निखिल अरोड़ा को दोषी मानते हुए एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने माना कि पीड़िता का बयान विश्वसनीय और सुसंगत है तथा घटना के अन्य साक्ष्यों से मेल खाता है। अदालत ने कहा कि यौन अपराध के मामलों में पीड़िता की गवाही ही पर्याप्त साक्ष्य मानी जा सकती है, जब तक कि उसे खारिज करने के ठोस आधार न हों।

क्या बोले अभियोजन अधिकारी

सहायक अभियोजन अधिकारी अनुराग वरुण ने कहा कि यह फैसला न्याय और महिला सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “विदेशी महिला ने जिस हिम्मत के साथ अदालत आकर गवाही दी, वह काबिल-ए-तारीफ है। इस फैसले से यह संदेश गया है कि भारत में न्याय की उम्मीद की जा सकती है, चाहे आरोपी कोई भी हो।’’

यह मामला सिर्फ एक महिला के इंसाफ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन तमाम महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है जो यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों के खिलाफ आवाज उठाने में डरती हैं। अर्जेंटीना की महिला की दृढ़ता और भारतीय न्यायिक व्यवस्था का फैसला यह साबित करता है कि अपराध कहीं भी हो, कानून और न्याय से बचा नहीं जा सकता

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