उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के संबंध में आज राजधानी दिल्ली में एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई। इस दौरान सांसद महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह जी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत जी तथा केंद्रीय राज्य रक्षा मंत्री एवं सांसद श्री अजय भट्ट जी के साथ माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से शिष्टाचार भेंट कर उन्हें धराली क्षेत्र में आपदा से उत्पन्न स्थिति की जानकारी दी गई।
प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने इस आपदा को अत्यंत दुःखद, पीड़ादायक और मर्मस्पर्शी बताते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में हुई यह प्राकृतिक त्रासदी समस्त देशवासियों के लिए अत्यंत पीड़ा का विषय है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं इस आपदा से अत्यंत मर्माहत, शोकाकुल और व्यथित हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि वे लगातार राहत एवं बचाव कार्यों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं और पल-पल की जानकारी ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तमाम एजेंसियां मिलकर राहत, बचाव एवं पुनर्वास कार्यों को पूरी तत्परता, संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण के साथ अंजाम दे रही हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार धराली सहित उत्तराखंड के सभी आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है और इस कठिन समय में हरसंभव सहयोग उपलब्ध करवा रही है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने यह भी आश्वस्त किया कि उत्तराखंड को इस विपदा से उबारने के लिए केंद्र सरकार की ओर से हर प्रकार की सहायता दी जा रही है और आगे भी दी जाती रहेगी। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि सभी जनप्रतिनिधि विशेष रूप से अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों के उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दें जहाँ अतिवृष्टि, भूस्खलन या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण संकट उत्पन्न हुआ है।
प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को निर्देशित किया कि वे निरंतर अपने क्षेत्र के प्रभावित लोगों से संवाद बनाए रखें, उनकी समस्याएं सुनें और यथासंभव हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने के प्रयास करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राज्य और केंद्र की समन्वित कार्य प्रणाली से ही इस संकट से मजबूती से निपटा जा सकता है।
प्रधानमंत्री की यह संवेदनशीलता, दूरदृष्टि और त्वरित प्रतिक्रिया उत्तराखंड के लोगों के लिए एक बड़ी संबल और भरोसे की बात है। यह मुलाकात आपदा के इस संकट काल में राहत कार्यों की गति को और अधिक तेज करने और समन्वय को बेहतर बनाने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
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