चोराबाड़ी ग्लेशियर में टूटा बर्फ का पहाड़, पांच मिनट तक उड़ता रहा सफ़ेद गुबार

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चोराबाड़ी ग्लेशियर में टूटा बर्फ का पहाड़, पांच मिनट तक उड़ता रहा सफ़ेद गुबार

उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित केदारनाथ धाम से लगभग छह किलोमीटर पीछे चोराबाड़ी ग्लेशियर के ऊपरी हिस्से में गुरुवार दोपहर बड़ा हिमस्खलन हुआ इस हिमस्खलन के कारण भारी मात्रा में बर्फ नीचे खिसककर गहरी खाई में चली गई और इस दौरान पूरा इलाका बर्फ के घने गुबार से ढक गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह बर्फ का गुबार करीब पांच मिनट तक ऊपरी हिमालयी क्षेत्र में उड़ता रहा और आसपास का दृश्य पूरी तरह धुंधला हो गया।

हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस घटना से केदारनाथ धाम या वहां मौजूद श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि चोराबाड़ी ग्लेशियर से टूटकर गिरी बर्फ गहरी खाई में समा गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि चोराबाड़ी और कंपेनियन ग्लेशियर जैसे क्षेत्रों में इस तरह के हिमस्खलन की घटनाएं आमतौर पर होती रहती हैं।

गुरुवार दोपहर लगभग 2 बजकर 30 मिनट पर यह घटना घटित हुई। बताया जा रहा है कि हाल ही में हुई बर्फबारी के कारण ग्लेशियर पर नई बर्फ की परत जम गई थी, जिसकी वजह से नीचे की पुरानी और जमी हुई बर्फ कमजोर हो गई। इसके परिणामस्वरूप उसका बड़ा हिस्सा टूटकर नीचे खिसक गया और हिमस्खलन का रूप ले लिया।

इस दौरान कई लोग केदारनाथ में मौजूद थे। उन्होंने इस दृश्य को अपने मोबाइल कैमरों में कैद कर लिया। वीडियो और तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह कुछ ही पलों में पूरा क्षेत्र बर्फ के गुबार से भर गया था।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी के अनुसार, बीते कई दिनों से निचले इलाकों में लगातार बारिश और ऊपरी हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी हो रही थी। सुबह के समय भी केदारनाथ में हल्की बारिश और ऊपरी क्षेत्रों में बर्फबारी हुई थी। मौसम की इन परिस्थितियों के कारण नई बर्फ के ऊपर जमा दबाव बढ़ गया और हिमस्खलन की यह घटना घटित हुई। हालांकि, दोपहर बाद मौसम सामान्य हो गया और स्थिति नियंत्रण में रही।

विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लेशियर में इस तरह की घटनाएं प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं। जब नई बर्फ लगातार पुरानी परतों पर जमती है तो उसका भार नीचे की परतों को असंतुलित कर देता है, जिससे बर्फ टूटकर बड़े हिस्सों में नीचे गिरने लगती है।

यह पहला मौका नहीं है जब चोराबाड़ी ग्लेशियर में इस तरह की घटना हुई हो। जून 2023 में भी इसी क्षेत्र में एक सप्ताह के भीतर पांच बार हिमस्खलन हुआ था। तब वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान की टीम ने हवाई और पैदल मार्ग से प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण किया था। वैज्ञानिकों ने निरीक्षण के बाद स्पष्ट किया था कि चोराबाड़ी ग्लेशियर में होने वाले हिमस्खलन से केदारनाथ धाम को किसी प्रकार का सीधा खतरा नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि हिमस्खलन की बढ़ती घटनाओं पर लगातार निगरानी बनाए रखना बेहद आवश्यक है।

स्थानीय प्रशासन और वैज्ञानिकों का कहना है कि केदारनाथ धाम और आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा को देखते हुए इन घटनाओं पर लगातार नज़र रखी जा रही है फिलहाल श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए किसी प्रकार की चिंता की बात नहीं है।

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