हाईकोर्ट का आदेश – एलयूसीसी घोटाले की जांच सीबीआई करेगी

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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: 800 करोड़ के एलयूसीसी चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी

निवेशकों से सीधा शिकायत दर्ज कराने के निर्देश, आरोपी दुबई भागा

देहरादून। उत्तराखंड में निवेशकों की गाढ़ी कमाई को डकारने वाली चिटफंड कंपनी एलयूसीसी (लोनी अर्बन कोऑपरेटिव) घोटाले की जांच अब सीबीआई करेगी। हाईकोर्ट ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट आदेश दिए कि पीड़ित निवेशक सीधे सीबीआई से संपर्क करें और अपनी शिकायतों के साथ निवेश संबंधी प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करें।

यह मामला करीब 800 करोड़ रुपये के गबन से जुड़ा है। आरोप है कि एलयूसीसी कंपनी ने राज्य के हजारों निवेशकों से मोटी रकम जमा कराई और बाद में कार्यालय बंद कर फरार हो गई।

केंद्र से पहले हाईकोर्ट का आदेश

इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश पहले ही धामी सरकार ने केंद्र को भेज दी थी। लेकिन केंद्र सरकार की मंजूरी से पहले ही मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दे दिया। अदालत ने साफ किया कि निवेशकों के हितों की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

कैसे चला घोटाला

एलयूसीसी ने वर्ष 2021 में देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी जिलों में अपने दफ्तर खोले। कंपनी ने स्थानीय एजेंटों के जरिए निवेशकों को ऊंचे ब्याज और बड़े रिटर्न का लालच दिया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि कंपनी ने राज्य में सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत कोई वैध पंजीकरण तक नहीं कराया।

इसके बावजूद कंपनी ने बड़े पैमाने पर लोगों से निवेश कराया और फिर अचानक वर्ष 2023-24 में सभी दफ्तर बंद कर दिए। इस दौरान कंपनी का मुख्य आरोपी दुबई भाग गया।

56 मुकदमे दर्ज, लेकिन निवेशकों को नहीं मिला न्याय

निवेशकों की शिकायतों के बाद उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों में 56 मुकदमे दर्ज हुए। हालांकि राज्य पुलिस की जांच और कार्रवाई से पीड़ित निवेशकों को संतोषजनक समाधान नहीं मिल सका।

इसी पृष्ठभूमि में हाईकोर्ट ने माना कि इतनी बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी की जांच केवल सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसी ही निष्पक्ष तरीके से कर सकती है।

अदालत के निर्देश

कोर्ट ने सीबीआई को जांच शुरू करने की अनुमति दी और निर्देश जारी किए कि—

  • जिन निवेशकों का पैसा डूबा है वे अपनी शिकायत सीधे सीबीआई को दें।

  • शिकायत के साथ अपने निवेश प्रमाण पत्र अवश्य संलग्न करें।

  • जांच के दौरान निवेशकों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।

  • दोषियों के खिलाफ ठोस और सख्त कार्रवाई हो।

  • राज्य सरकार की इस लापरवाही की भी जांच हो कि बिना पंजीकरण कंपनी ने कैसे संचालन किया।

निवेशकों में उम्मीद जगी

हाईकोर्ट के आदेश के बाद हजारों निवेशकों में उम्मीद जगी है कि उन्हें न्याय मिलेगा और उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई वापस मिल सकेगी। अब सीबीआई की जांच यह तय करेगी कि आखिरकार 800 करोड़ रुपये के इस घोटाले के पीछे कौन-कौन जिम्मेदार है और किसकी लापरवाही से इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हुई

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