जानलेवा साबित हुआ अवैध खनन, 15 श्रमिकों की मौत

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अवैध खनन बना काल: आसन नदी में ट्रैक्टर-ट्रॉली समेत बहे 15 श्रमिक, 8 की मौत, 5 लापता

देहरादून। दून घाटी की नदियों में वर्षाकाल के दौरान पानी मौत बनकर बह रहा है। सबसे भयावह मंजर मंगलवार को आसन नदी पर देखने को मिला, जहां अचानक आए तेज सैलाब ने मजदूरी कर रहे श्रमिकों को बहा दिया। इस हादसे में ट्रैक्टर-ट्रॉली समेत 15 मजदूर नदी में समा गए। चीख-पुकार मचाते परिजन और साथी श्रमिक असहाय होकर यह दृश्य देखते रह गए। पुलिस और एसडीआरएफ टीम ने तत्काल बचाव अभियान शुरू किया और दो मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया, जबकि अब तक आठ शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किए जा चुके हैं। पांच मजदूरों की तलाश जारी है।

मजबूरी ने धकेला मौत के मुंह में

पछवादून क्षेत्र के विकासनगर, सहसपुर और सेलाकुई इलाके में वर्षाकाल के दौरान भी अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। यमुना, आसन, टॉस, शीतला और स्वारना नदी में रोजाना ट्रैक्टर-ट्रॉली और श्रमिक उतारे जाते हैं। दो वक्त की रोटी की मजबूरी श्रमिकों को जान जोखिम में डालकर नदी तल में उतरने पर मजबूर करती है। अचानक जलस्तर बढ़ने पर वे अपनी जान बचाने के लिए किनारों की ओर भागते हैं, लेकिन कई बार धारा इतनी प्रचंड हो जाती है कि ट्रैक्टर-ट्रॉली और मजदूर नदी के बीच ही फंस जाते हैं।

हादसों का सिलसिला

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। बीते जुलाई में विकासनगर के बाढ़वाला में जुड्डो बांध से अचानक पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी में 11 श्रमिक ट्रैक्टर-ट्रॉली समेत फंस गए थे। हालांकि, उस समय पुलिस और एसडीआरएफ की तत्परता से सभी को सकुशल बचा लिया गया था। मगर प्रेमनगर क्षेत्र के परवल में आसन नदी पर मंगलवार का दिन मजदूरों के लिए दुर्भाग्य लेकर आया। पानी की तेज धारा ने उन्हें किसी तरह का मौका ही नहीं दिया और मदद पहुंचने से पहले ही वे बह गए।

प्रशासन और विभाग की चुप्पी

लगातार हो रही घटनाओं के बावजूद प्रशासन और खनन विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। श्रमिक हर साल बरसात में नदी की धारा में फंसते हैं, कई अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन अवैध खनन का सिलसिला रुकता नहीं। नदियों से खनन पर प्रतिबंध के बावजूद ट्रैक्टर-ट्रॉली और मजदूरों को खुलेआम नदी तल में उतारा जा रहा है। सवाल यह उठता है कि आखिर इन मजदूरों की जान को दांव पर लगाने वालों पर कब शिकंजा कसा जाएगा।

परिवार की बर्बादी की दर्दनाक कहानी

इस हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। यूपी के मुरादाबाद जिले के बिलारी थाना क्षेत्र के मुंडिया जैन गांव निवासी हरचरण, उनकी पत्नी सोमवती और दोनों बेटे हरिराम व राजकुमार भी मजदूरी करने दून आए थे। मंगलवार को वे सभी ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ आसन नदी की धारा में बह गए। हरचरण और सोमवती के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि उनके बेटे अब तक लापता बताए जा रहे हैं। एक ही परिवार के चार लोगों का इस तरह नदी की भेंट चढ़ जाना क्षेत्र के लिए दिल दहला देने वाली घटना है।

बड़ा सबक, फिर भी लापरवाही बरकरार

हर साल मानसून में घटने वाली ऐसी घटनाओं के बावजूद अवैध खनन पर न तो रोक लग रही है और न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो रही है। आसन नदी की यह त्रासदी प्रशासन और खनन विभाग के लिए बड़ा सबक है कि मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है। अन्यथा, मजबूरी और लापरवाही का यह दुष्चक्र आगे भी मजदूर परिवारों को बर्बाद करता रहेगा

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