इस बार उत्तराखंड की सियासत में कई मिथक टूटें हैं, इनमें से ही एक मिथक पूर्व शिक्षामंत्री अरविंद पांडे ने तोड़ा है. इससे पहले मिथक था कि प्रदेश का शिक्षा मंत्री चुनाव में हार जाता है.
लेकिन अरविंद पांडे दोबारा जीतकर विधानसभा पहुंचे, बावजूद इसके उन्हों फिलहाल धामी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है.
जिससे उनके समर्थक काफी मायूस नजर आ रहे हैं. आज को अरविंद पांडेय ने जब अपना सरकारी आवास खाली किया तो वहां का पूरा माहौल गमगीन हो गया था.
अरविंद पांडेय ने जब सरकारी बंगला खाली किया तो वहां मौजूद सभी कर्मचारियों और उनके परिजनों की आंखों में आंसू छलकते हुए दिखाई दिए.
इस दौरान उनकी पत्नी भी उनके साथ थी. खास बात यह है कि अरविंद पांडे इससे पहले अपने कर्मचारियों के साथ भोजन किया और उन्हें अलविदा कहा.
इस पूरे समय में यहां के कई कर्मचारी अपने दिल के भाव को नहीं रोक पाए और रो पड़े. इस पूरे माहौल को देखकर अरविंद पांडे की पत्नी भी अपने आंसू नहीं रो पाई और वो भी कर्मचारियों के साथ रो पड़ी.
इस दौरान बीजेपी के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता बलराज पासी में वहां मौजूद थे. अरविंद पांडे ने बलराज पासी के पैर छूकर सरकारी बंगले से विदाई ली.
इस दौरान अरविंद पांडेय ने सिर्फ इतना ही कहा कि उन्हें इस सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया, इसका उन्हें कोई दु:ख नहीं है. पार्टी ने जो किया सोच सझकर ही किया होगा.
पार्टी ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है और उन्हें उम्मीद है कि पार्टी जो करेगी बेहतर करेगी. यमुना कॉलोनी स्थित मंत्री आवास पर पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के चाहने वाले उनके मिलने पहुंचे थे.
बता दें कि अरविंद पांडेय गदरपुर विधानसभा से पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं. वह पिछली पूर्व की बीजेपी सरकार में वे शिक्षा मंत्री भी रहे है.
इस बार उन्होंने प्रदेश के उस मिथक को भी तोड़ा, जो कि यह था कि प्रदेश में जो भी शिक्षा मंत्री रहा, वह कभी चुनाव नहीं जीता., लेकिन अरविंद पांडेय ने इस मिथक को तोड़कर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की.