पड़ोसी देश नेपाल, भारत के साथ सीमा संबंधी मुद्दे को हल करने के लिए एक द्विपक्षीय तंत्र स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.
2 अप्रैल शनिवार को नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत दौरे पर आए. वहीं, नेपाल की संसदीय समिति के विधायक और समन्वयक उत्तराखंड पहुंचे और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की. इस दौरान उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों और आपसी हित की परियोजनाओं पर चर्चा हुई.
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि नेपाल की वित्त विभाग और वन विभाग समेत कई समितियां यहां पर आई हुई हैं. इस दौरान उन्होंने अपने अनुभव भी साझा किये हैं.
सीएम धामी ने कहा कि नेपाल के अधिकारियों को लगता है कि नया भारत बन रहा है. पीएम मोदी के नेतृत्व में एक ऐसा भारत बन रहा है, जिसका मान विश्व में बढ़ रहा है. धामी ने कहा कि नेपाल हमारा पड़ोसी देश है. नेपाल के साथ हमारे रोटी-बेटी और भाईचारे का रिश्ता है. ऐसे में नेपाल की इस पहल से दोनों देशों के साथ रिश्ते अच्छे होंगे.
नेपाल से आए डेलीगेशन का कहना है कि दोनों देशों का रहन-सहन, संस्कृति और धार्मिक परंपरा मिलती जुलती है. ये दोनों देश सदियों के एक दूसरे के भाईचारे के प्रतीक बने हुए हैं.
ऐसे में इस रिश्ते को और मजबूत बनाने और सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के रिश्ते सुधरने बहुत जरूरी हैं. वन्य जंतु आरक्षण की भी काफी संभावना है.
ऐसे में दोनों देशों को मिलकर सीमा विवाद को सुलझाना पड़ेगा. भौतिक विकास और आर्थिक समृद्धि को कैसे आगे बढ़ाएं इसको लेकर चर्चा हुई है, क्योंकि भारत-नेपाल के रिश्ते सदियों पुराने हैं.
दरअसल, नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने पीएम मोदी की मौजूदगी में मीडिया को दिए बयान में कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में सीमा मुद्दे पर चर्चा हुई और उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री से द्विपक्षीय तंत्र की स्थापना के माध्यम से इसे हल करने का आग्रह किया.
कुछ घंटे बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सामान्य समझ यह थी कि मुद्दे का समाधान बातचीत के माध्यम से जिम्मेदार तरीके से करने की जरूरत है और इसके ‘राजनीतिकरण’ से बचना चाहिए.