दिल्ली के बाद दूसरे राज्य पंजाब में सरकार बनाने से उत्साहित आम आदमी पार्टी को हिमाचल प्रदेश में झटके पर झटके लग रहे हैं। अपनी तीसरी सरकार बनाने के लिए जिस तरह से आप हिमाचल के पहाड़ों पर चढ़ाई करना आसान मान रही थी, इन झटकों के बाद यह चुनौती बन गया है। नतीजतन इसे अपनी मौजूदा राज्य कार्यकारिणी समिति को ही भंग करना पड़ा है। आप के पास चेहरों का संकट है। यह यहां शुरू से ही रहा है। अभी तक जो भी पार्टी में आ रहा था, उसे सहर्ष लिया जा रहा था। पद भी बांटे जा रहे थे, चाहे पृष्ठभूमि जैसी रही हो। आप में शामिल होने की इस मुहिम के बीच कई पदाधिकारियों में मुख्यधारा में आने के लिए वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई थी। अब इसे यहां अपना संगठन शून्य से खड़ा करना होगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह राज्य हिमाचल में डबल इंजन से चल रही भाजपा की आगामी रणनीति पर आप यहां अपना अंगद पांव जमा पाएगी, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।भाजपा और आप की इस जंग के बीच सत्ता में महज बदलाव के ट्रेंड से आने को आतुर गुटों में बंटी कांग्रेस की भी इस बीच आक्रामता नजर नहीं आ रही है। हालांकि, आप के टुकड़े करने में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का अहम रोल रहा। हिमाचल प्रदेश में कभी भी तीसरा विकल्प अपने लिए स्थायी जगह नहीं बना पाया है। आप को यहां उम्मीद नजर आ रही है। इसी के चलते छह अप्रैल को आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के नवनियुक्त सीएम भगवंत मान ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के जिला मंडी से ही चुनावी शंखनाद किया। लेकिन दो बड़े झटकों और कार्यकारिणी भंग करने के बाद आप को शून्य से संगठन को खड़ा करना बड़ी चुनौती होगा।