सोनिया गाँधी और महबूबा मुफती की एक और मुलाकात , बदलते दिख रहे है सियासी पेंच

परिसीमन प्रक्रिया के लगभग पूरा होने और विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इसे एक नए सियासी मोर्चे और गठजोड़ के रूप में भी देखा जा रहा है।

आगामी समय में यह मुलाकात जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गलियारे में नए समीकरण बना सकती है। चर्चा है कि गुपकार गठबंधन (पीएजीडी) में खुद को अलग-थलग पाकर महबूबा नए विकल्प तलाश रहीं हैं। ऐसे में सोनिया से मुलाकात उस दिशा में कदम हो सकता है। इस मुलाकात को भाजपा के खिलाफ क्षेत्रीय दलों के सहयोग से संयुक्त मोर्चा बनाने की कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर का कहना है कि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा का सोनिया गांधी से मिलना सामान्य है। पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन पर खुद सोनिया गांधी उनके परिवार के प्रति सांत्वना जताने आई थीं, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं आए थे। पिछले दो साल से कोविड और सोनिया गांधी के स्वास्थ्य के चलते उनसे कम मुलाकात हुई है।

ऐसे में महबूबा मुफ्ती ने उनका हालचाल जाना है। दूसरा पहलू यह है कि देश में मौजूदा परिदृश्य में अफरातफरी का माहौल है। ऐसे में क्षेत्रीय दलों को भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एक प्लेटफार्म की जरूरत है। मीर के अनुसार देश को बचाने के लिए अगर ऐसे दल सोनिया गांधी की सोच पर विश्वास करते हुए उनके नेतृत्व में आगे बढ़ते हैं तो यह अच्छी बात है। इसके भविष्य में बेहतर परिणाम सामने आएंगे। हालांकि, पीडीपी भी इसे सामान्य मुलाकात ही बता रही है। पीडीपी प्रवक्ता सुहैल बुखारी का कहना है कि यह औपचारिक मुलाकात भर थी। इसके निहितार्थ नहीं निकाले जाने चाहिए।

गुपकार गठबंधन ने साधी चुप्पी
गुपकार गठबंधन महबूबा और सोनिया की मुलाकात पर चुप्पी साधे हुए है। न तो नेकां की ओर से कोई बयान सामने आया और न ही गठबंधन के प्रवक्ता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कुछ बोला। तारिगामी ने इतना जरूर कहा कि मुलाकात के मायने निकालने का कोई आधार नहीं है। वैसे भी पीडीपी की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि यह शिष्टाचार मुलाकात थी।

पीडीपी-कांग्रेस का पुराना नाता
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-कांग्रेस में गठजोड़ का रिश्ता पुराना रहा है। वर्ष 2002 में पीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी, जो वर्ष 2008 में श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन में गिर गई थी। महबूबा भी पहली बार कांग्रेस के टिकट पर बिजबिहाड़ा से जीतकर विधानसभा में पहुंचीं थीं। मुफ्ती मोहम्मद सईद भी पहले कांग्रेस में ही थे, लेकिन कुछ मुद्दों पर मतभेद के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और 1999 में पीडीपी का गठन किया।

अन्य कांग्रेस नेताओं की भी रही मौजूदगी
दिल्ली में मुलाकात के दौरान सोनिया के साथ कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला, केसी वेणुगोपाल और अंबिका सोनी भी मौजूद रहीं। सियासी हलके में चर्चा है कि यदि शिष्टाचार मुलाकात होती या महबूबा हालचाल लेने जातीं तो कांग्रेस के और वरिष्ठ नेता वहां नहीं होते। ऐसे में कुछ न कुछ खिचड़ी पक रही है।

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