वाराणसी के संकटमोचन मंदिर में संगीत समारोह में लगा ड्रम व मैन्डोलिन का जादू

संकटमोचन मंदिर में संगीत का माहौल बना . अनूठे ध्वनि अनुसंधान ने मंदिर परिसर का कोना-कोना सुरलहरियों से झंकृत कर दिया। युवाओं के साथ ही हर वर्ग के दर्शक भी शिवमणि के सम्मोहन में खुद को बंधने से नहीं रोक पाए। बुधवार को 99वें संकटमोचन संगीत समारोह की प्रथम निशा की शुरुआत मशहूर ड्रमर शिवमणि और यू राजेश के मैंडोलिन की सधी हुई मनमोहक संगत से हुई।

बुधवार को शिवमणि और यू राजेश ने संकटमोचन संगीत समारोह का अविस्मरणीय श्रीगणेश किया। पाश्चात्य शैली का साज ड्रम शास्त्रीय संगीत के प्रवाह में इतने अद्भुत तरीके से ठनका, खनका और झनका कि कानों के रास्ते दिलों की गहराई में उतरता चला गया। इसकी गहराई का अंदाजा तालियों की गड़गड़ाहट, हर-हर महादेव का जयघोष और श्रोताओं का साधक भाव में सुनने से हो रहा था।

शिवमणि के साथ मंच साझा कर रहे  यू राजेश ने मैंडोलिन का जादू जगाया। इसमें शास्त्रीय सुरों को पगाया और कानों में घोल दिया। अतिश्योक्ति न होगी कि उनकी हर थाप पर कान लगाए श्रोताओं की ऐसी तन्मयता कि तालियां भी इसमें खलल डालने की हिमाकत न कर सकीं। ड्रम की थाप और श्रोताओं की तालियों की जुगलबंदी तो मन मोह लेने वाली थी।

कोरोना प्रोटोकॉल के साथ मिला प्रवेश

संकटमोचन संगीत समारोह में कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। आयोजन आरंभ होने से पूर्व पूरे मंदिर परिसर को सैनिटाइज कराया गया। वहीं दर्शकों को भी मास्क लगाकर ही मंदिर में प्रवेश दिया गया।

लाइव पेंटिंग से सज रहा कोना 
संकटमोचन संगीत समारोह का एक कोना काशी के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के नाम रही। काशी विद्यापीठ के दृश्य कला संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील विश्वकर्मा, अनिल शर्मा के साथ दृश्य कला संकाय के छात्रों ने गुमनाम क्रांतिकारियों को कैनवास पर जीवंत किया। प्रो. विजय नाथ मिश्र ने बताया कि इस शृंखला में ऐसे भी स्वतंत्रता सेनानी मिलेंगे जिनकी कथा तो मिलती है लेकिन चित्र नहीं मिलते हैं।

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