भारतीय सैन्य अकादमी से शनिवार को 377 कैडेट पास आउट होंगे. जिसमें अफगानिस्तान के 43 कैडेट्स का अंतिम बैच भी शामिल है. आईएमए में 83 अफगान जेंटलमैन कैडेट थे, जब तालिबान ने पिछले साल 15 अगस्त को उस देश पर कब्जा कर लिया था. उस संख्या में से, 40 ने पिछले साल दिसंबर में अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जबकि शेष 43 कैडेट 11 जून को परेड में पास आउट होंगे. आईएमए से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जब से अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आया है, कोई नया कैडेट प्रशिक्षण के लिए आईएमए नहीं आया. सूत्रों का कहना है कि अभी तक इन कैडेट्स को लेकर अफगान या भारतीय अधिकारियों से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. ऐसे में इन कैडेटों का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है.
इससे पहले फरवरी में, तालिबान द्वारा अफगान राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा बलों के जवानों को बंधक बनाने और उन्हें कत्ल करने की खबरों के बीच रक्षा मंत्रालय ने विभिन्न भारतीय सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों के करीब 80 अफगान कैडेटों को भारत में लंबे समय तक रहने की अनुमति दी थी. क्योंकि तालिबान की वापसी के बाद अफगान कैडेटों ने अपने देश लौटने से इनकार कर दिया था. उनमें से कुछ ने भारत के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में शरण मांगी थी.अफगानिस्तानी कैडेट्स के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि वे जिस सेना और देश को बचाने के लिए आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे थे, उसका खुद का वजूद खतरे में पड़ गया है. अब वे किसके लिए काम करेंगे. यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद वो कहां जाएंगे. उन्हें अभी भविष्य के सारे रास्ते बंद दिख रहे हैं.
अफगानिस्तानी कैडेट्स के आंकड़ों पर एक नजर: साल 2018 में 49 अफगानी कैडेट्स पास आउट हुए थे. दिसंबर 2020 में 41 और जून 2021 में 43 अफगानी कैडेट्स पास आउट हुए थे. अभी भी 83 अफगानी कैडेट्स आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसमें से 40 तो दिसंबर में पास आउट हो गए और बाकी के 43 कैडेट्स 11 जून 2022 की POP में पास आउट होंगे.
आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे अफगानिस्तान के कैडेट्स अपने परिजनों को लेकर चिंतित हैं. शौर्य चक्र विजेता रिटायर्ड कर्नल राकेश सिंह कुकरेती ने बताया कि देहरादून IMA से पास आउट होने वाले अफगानिस्तान के सैन्य अधिकारियों को उनके देश के हालात सामान्य होने तक रोका जा सकता है. जब तक वे सैन्य ट्रेनिंग ले रहे हैं, उनके जीवन सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार की है.
रिटायर्ड कर्नल कुकरेती ने बताया कि तालिबान सरकार की डिमांड पर IMA से पास आउट हुए अफगानिस्तान के कैडेट्स को वापस भेजा जा सकता है. इसके अलावा कुकरेती ने बताया कि यदि वे भारत में ही अपने सेवा देना चाहते हैं तो इसके लिए भारत सरकार को निर्णय लेना होगा. वैसे भारतीय सेना के नियमों के मुताबिक उन्हें यहां रखने का कोई आधिकारिक प्रावधान नहीं है.