भारत और चीन के बीच आज हो सकती है 11वें दौर की सैन्य वार्ता, ड्रैगन अब भी कर रहा आनाकानी?

लद्दाख में सीमा विवाद पर तनाव कम करने को लेकर दोनों देशों की ओर से सैन्य वार्ता के जरिए कोशिशें जारी हैं। लद्दाख के गोगरा, हॉट स्प्रिंग और डेपसांग क्षेत्र में जारी तनाव को हल करने के लिए भारत-चीन के बीच सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता आज यानी नौ अप्रैल को हो सकती है। भारतीय सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी कि दोनों देशों के बीच आज करीब साढ़े दस बजे 11वें दौर की वार्ता होगी, जिसमें फ्रिक्शन प्वाइंट वाले इलाकों में तनाव कम करने और डिसइंगेजमेंट पर चर्चा होगी। बता दें कि लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच बीते लगभग एक साल से टकराव चल रहा है। 

सूत्रों के मुताबिक, पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ तनाव के समाधान के बाद दोनों देशों की सेनाएं गोगरा पहाड़ियों और डेपसांग इलाके में सैन्य मौजूदगी घटाने के मुद्दे पर चर्चा कर सकती हैं। यह वार्ता भारत-चीन के बीच सैन्य विवाद को लेकर हाल ही में हुई राजनयिक स्तर की बातचीत के बाद होगी। पिछले महीने सैन्य और राजनीतिक स्तर की विभिन्न दौर की बैठक के बाद दोनों देश पैंगोंग में सेना हटाने पर सहमत हुए थे। सभी पक्षों ने विवाद के समाधान का श्रेय सेना प्रमुख एमएम नरवणे को दिया था।

सेना के सूत्रों ने बताया कि कोर-कमांडर स्तर की 11वें दौर की वार्ता शुक्रवार सुबह 10.30 बजे से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थित चुशूल सीमा में शुरू होने का कार्यक्रम है। बातचीत में भारतीय पक्ष डेपसांग, हॉटस्प्रिंग और गोगरा में अप्रैल 2020 जैसी यथास्थिति की बहाली का मुद्दा उठाएगा। भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर-कमांडर के लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मनन करेंगे।

हालांकि, आज की वार्ता पर भी संदेह है। क्योंकि चीन की ओर से अब तक 11वीं बैठक की तारीख की पुष्टि नहीं की है। चीन ने गुरुवार को कहा कि लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव को दूर करने के मकसद से सैन्य कमांडर्स के बीच 11वीं बैठक के लिए वह भारत से संपर्क में है, लेकिन उसने बातचीत के लिए किसी तारीख की पुष्टि नहीं की है। बैठक को लेकर एक सवाल का जवाब देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने सीमा पर बिगड़े हालात के लिए फिर भारत को जिम्मेदार ठहराया। 

चीन ने इस बात से इनकार किया है कि बातचीत में देरी हो रही है, जबकि 10वें दौर की बातचीत करीब 7 सप्ताह पहले 20 फरवरी को हुई थी। भारत में कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच कॉर्प्स कमांडर लेवल की अगली बातचीत शुक्रवार को हो सकती है। बताया जा रहा है कि अगली बैठक में पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बचे हुए स्थानों से डिसइंगेजमेंट पर बात होगी। 20 फरवरी की बातचीत से पहले दोनों देशों ने पैंगोंग झील के किनारे से सशस्त्र सैनिकों और टैंकों को हटा लिया है। 

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने गुरुवार को एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ”चीन और भारत के बीच 11वें दौर की बातचीत के लिए संवाद कर रहे हैं। बैठक में कोई देरी नहीं हुई है, जैसा कि आपने कहा।” इसी तरह के एक अन्य जवाब में उन्होंने कहा, ”मुझे आगमी बातचीत को लेकर कोई जानकारी नहीं है।” 

20 फरवरी को हुई थी 10वें दौर की वार्ता

बता दें कि पहले लद्दाख के पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से दोनों देशों की सेनाओं की वापसी के पूरा होने के दो दिन बाद 20 फरवरी को भारत और चीन की सेनाओं के कोर कमांडर-रैंक के अधिकारियों के बीच 10वें दौर की बातचीत हुई थी। करीब 16 घंटे चली इस बैठक में पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देप्सांग जैसे गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था

क्वाड से चीन की चिंताएं बढ़ीं

इधर, क्वाड को लेकर चीन की चिंताएं बढ़ गई हैं। चीन ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न देशों के बीच सैन्य सहयोग क्षेत्रीय शांति के अनुकूल होना चाहिए। क्षेत्र में बढ़ती चीनी आक्रामकता के बीच हिंद महासागर में फांस और भारत सहित क्वाड के अन्य सदस्यों के वृहद नौसेना अभ्यास में शामिल होने के  एक दिन बाद चीन ने यह टिप्पणी की है। भारत और क्वाड के तीन अन्य सदस्यों – अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान ने सोमवार को पूर्वी हिंद महासागर में फ्रांस के साथ तीन दिवसीय नौसेना अभ्यास शुरू किया। फ्रांस व क्वाड गठबंधन देशों के नौसेना अभ्यास के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मंगलवार को बीजिंग के इस रुख को दोहराया कि इस तरह का सहयोग क्षेत्र में शांति के लिए अनुकूल होना चाहिए। उन्होंने यहां मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मैंने इन रिपोर्टों को देखा है। हमारा हमेशा मानना रहा है कि देशों के बीच सैन्य सहयोग क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल होना चाहिए।’ इस अभियान के दौरान भारतीय नौसेना के पोत और विमान फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के पोतों और विमानों के साथ समुद्र में अभ्यास करेंगे।

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