देश के विकास के लिए जरुरी है सभी करदाता समय रहते करभुगतान करें, वित्त वर्ष की समाप्ति के साथ ही सरकारों का भी लक्ष्य पूरा कर वसूलना होता है.
लेकिन उत्तराखंड सरकार इस मामले में पिछड़ गयी है, जुलाई में GST कलेक्शन में उत्तरांड 17 वें नम्बर पर रहा.
जुलाई में राज्य का कलेक्शन महज 1390 करोड़ रुपये रहा, देश में सबसे बेहतर प्रदर्शन क्रमश: महाराष्ट्र (22129 करोड़), कर्नाटक (9795 करोड़) और गुजरात (9183 करोड़) का रहा.
केंद्र सरकार को गत मार्च-अप्रैल में जीएसटी का रिकॉर्ड कलेक्शन मिला। केंद्र को मार्च में 1,42,095 करोड़ और अप्रैल में 1.68 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिला। यही रफ्तार मई में भी रही।
मंत्रालय की जून में जारी रिपोर्ट के अनुसार, मई में जीएसटी कलेक्शन 1,40,885 करोड़ रुपये रहा। उत्तराखंड की बात करें तो 46 कलेक्शन के बावजूद राज्य 18वें स्थान पर लुढ़क गया था। जून-जुलाई में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति रही।
अब मंत्रालय की जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 106580 करोड़ का जीएसटी कलेक्शन हुआ है। इसी अवधि में उत्तराखंड का कलेक्शन 1390 करोड़ रुपये रहा। राहत की बात ये है कि पिछले साल जुलाई की तुलना में कलेक्शन इस जुलाई में 26 अधिक हुआ।
प्रदेश में जीएसटी में पंजीकृत कुल करदाताओं की संख्या 1.12 लाख है। इनमें से 35 हजार ऐसे हैं, जो लंबे समय से जीएसटी भरने में आनाकानी कर रहे हैं।
इनमें से अब तक चार से पांच हजार करदाताओं से वसूली की जा चुकी है। करीब 30 हजार व्यापारियों से कर वसूली की प्रक्रिया चल रही है। राज्य कर विभाग के अफसरों की मानें तो जीएसटी कलेक्शन में कमी आने का एक प्रमुख कारण जीएसटी न चुकाने वाले करदाता भी हैं।
जीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर गौरव कुमार पंत का कहना है कि प्रदेश में जीएसटी कलेक्शन गत वर्ष जुलाई से 26 अधिक रहा है, जो कि राहत की बात है, लेकिन जहां तक बीते कुछ माह में बेहतर कलेक्शन की बात है तो अप्रैल-मई का रिटर्न करदाताओं ने जून में जमा किया था। इस वजह से उस समय कलेक्शन में अच्छी खासी वृद्धि हुई थी.