जिस गांव में लोग दुल्हन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे वहां रिश्तेदारों के शव पहुंचने से हर और चीख पुकार मच गयी… खुशिया मातम में बदल गयी…
पौड़ी के कांडा गांव से दुल्हन लेने गए लालढांग और आसपास के 16 बारातियों का वह सफर आखिरी सफ़र बन गया… वह लोग अब कभी वापस नहीं लौटेंगे। बराती अपने साथ दुल्हन तो नहीं ला सके, लेकिन सफेद कपड़ों में लिपटे उनके शव आज सुबह गांव पहुंचे।
बारातियों से भरी बस का दुर्घटना के बाद गांव में कोहराम मचा है। चार मृतकों के शव आज गुरुवार सुबह पहुंच चुके हैं। इनमें चारों रसूलपुर गांव के हैं। इनमें भी एक परिवार के तीन सदस्यों की जान गई है। शवों के अंतिम संस्कार करने के लिए हरिद्वार के चंडीघाट करने के लिए ग्रामीण निकल गए हैं।
अपनों की मौत की खबर से गांव का हर परिवार बेसुध हैं। इस हादसे से पूरी तरह टूट चूका दूल्हा संदीप बिना दुल्हन के ही गांव पहुंचा। गांव में अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले हैं। लालढांग मिश्रित आबादी का कस्बा है।