ऋषिकेश: डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का रचना संसार ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 75 श्रृंखलाएं पूरी होने के अवसर पर आयोजित की जा रही दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी व हीरक जयंती समारोह के दूसरे दिन दो सत्र आयोजित किए गए।
पहले सत्र में बाबा रामदेव समेत कई अन्य अतिथि मौजूद रहे, जिन्होंने डॉ निशंक के साहित्य, रचनाधर्मिता, कृतित्व और व्यक्तित्व को लेकर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में डॉ. निशंक को नीदरलैंड की महर्षि इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की ओर से साहित्य सेवा और विश्व शांति के प्रयासों के लिए पीएचडी की मानद उपाधि भी प्रदान की गई।
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि परमार्थ निकेतन से वर्ष 2010 से स्पर्श गंगा अभियान के तहत गंगोत्री से गंगा सागर तक सर्व धर्म यात्रा निकाली गई थी। आज यह आध्यात्म और सनातन का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। भारत की नई शिक्षा नीति पूरी दुनिया के लिए गेम चेंजर साबित होगी। यह भारत को एक बार फिर विश्वगुरु बनाने की राह प्रशस्त करेगी।
मुख्य अतिथि बाबा रामदेव ने कहा कि निशंक ज्ञान, भक्ति, सेवा साहित्य सृजन, पुरुषार्थ और समाज सेवा के योद्धा हैं। निशंक ने हमेशा दिखाया है कि उनके मन मे सृजनात्मकता को लेकर किसी तरह की शंका नहीं हैं। काशी, अयोध्या, बद्री-केदार से लेकर निशंक की साहित्य रचना तक सब कुछ अच्छा हो रहा है। हिमालय के जल, जंगल, जमीन, जड़ी-बूटी को बचाने और बढ़ाने की जरूरत है। सत्ता, समृद्धि, सफलता, विजय मेरे लिए मायने नहीं रखते, मैं केवल योग और कर्मयोग के लिए जीता हूं। उन्होंने कहा कि मैं हिमालय के उजड़े गांव संवारना चाहता हूं। ज्यादा नहीं तो दुनिया का एक श्रेष्ठ गांव बसाउंगा, जिसका नाम ऋषि ग्राम होगा। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड की मान्यता उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हो चुकी है। आठवीं तक का पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिया है।