उत्तराखंड में कोरोना : ऑक्सीजन का टैंकर कहां पहुंचा, दफ्तर में बैठे-बैठे लग जाएगा पता

कोरोना संक्रमण में जितनी तेजी से ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ी है, उसी हिसाब से इसकी सभी अस्पतालों तक सप्लाई भी बड़ी चुनौती बनी है।

सभी ऑक्सीजन टैंकरों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस
इस चुनौती को आसान बनाने के लिए परिवहन विभाग ने सभी ऑक्सीजन टैंकरों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटी) लगा दिए हैं। जिससे अफसरों को दफ्तर में बैठे-बैठे ही पता चल जाएगा कि ऑक्सीजन का टैंकर कहां पहुंच गया है और कहां नहीं।

जीपीएस ट्रैकिंग इन टैंकरों की उचित निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ऑक्सीजन कंटेनर, टैंकर और वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य कर दिया है। जीपीएस ट्रैकिंग इन टैंकरों की उचित निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, इसके अलावा इससे ये भी सुनिश्चित होगा कि कहीं कोई डायवर्जन या देरी तो नहीं है।

आरटीओ प्रवर्तन संदीप सैनी ने बताया कि ऑक्सीजन टैंकरों से समयबद्ध ऑक्सीजन सप्लाई पर नजर बनाए रखने के लिए ही वीएलटी लगाए गए हैं। टैंकरों को रियल टाइम ट्रैक करने के लिए एक सिस्टम विकसित किया गया है।

सैटेलाइट से ट्रैक हो रहे टैंकर
प्रदेश में लगातार ऑक्सीजन की सप्लाई सभी जिलों को की जा रही है। सरकार ने गढ़वाल और कुमाऊं के लिए परिवहन विभाग की पूरी टीमें तैनात की हैं, जो हर वक्त ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों पर नजर बनाए हुए हैं।

परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा को ऑक्सीजन सप्लाई का नोडल अधिकारी बनाया गया है। सैटेलाइट के माध्यम से सभी जिलों में जाने वाले ऑक्सीजन टैंकरों को ट्रैक किया जा रहा है। उनकी रियल टाइमिंग भी निकाली जा रही है ताकि इमरजेंसी में उसी हिसाब से ऑक्सीजन पहुंचाई जा सके।

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