उत्तराखंडी राजनीति, खेल-कूद, गीत-संगीत, कला से लेकर हर क्षेत्र में प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं, इसी कड़ी में
डॉ माधुरी बड़थ्वाल को कला के क्षेत्र में पदमश्री पुरस्कार मिला. डॉ माधुरी बड़थ्वाल लैन्सडाउन में पली बढ़ी हैं वह उत्तराखंड की प्रथम महिला संगीत निर्देशक हैं.
70 के दशक में वह आकाशवाणी नजीबाबाद से जुड़ी जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा पर विचार भी नही किया जाता था उस दौर में माधुरी दीदी पहाड़ी संगीत की बुनियाद रख रही थी.
उत्तराखंड संगीत पर उन के द्वारा लिखी गई 500 पन्नों की रागरागिनी पुस्तक पहाड़ी संगीत का सम्पूर्ण ज्ञान बटोरता हैं। माधुरी दीदी के द्वारा मंगल गीत व पहाड़ी बाध्यन्त्र की एक महिला टुकड़ी बनाई हैं जो पहाड़ी संस्कृति को शहरों में विस्तार देती हैं.
19 मार्च, 1953 को पौड़ी जिले के लैंसडाउन में दमयन्ती देवी और चंद्रमणि उनियाल के घर जन्मी डाॅ. माधुरी बड़थ्वाल
उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक गायिका है.
उत्तराखंड की लोक संगीत के संरक्षण, प्रचार आदि के लिए कई सालों से निरन्तर कार्य कर रही डाॅ. माधुरी बड़थ्वाल आल इंडिया रेडियो की पहली महिला संगीतकार के रूप में जानी जाती है.
उन्होने अपनी शिक्षा लैंसडाउन से प्राप्त की, हाइस्कूल करने के बाद ही इन्होने संगीत प्रभाकर की डिग्री हासिल कर ली थी. इनके पिता जो स्वयं एक गायक और सितारवादक थे, ने इन्हें प्रयाग संगीत समिति में विधिवत संगीत की शिक्षा प्रदान करवाई.
स्नातक के बाद कई सालों तक राजकीय इंटर काॅलेज लैंसडाउन में संगीत की अध्यापिका के रूप में अपनी सेवा दी, अपने खाली समय में वे आकाशवाणी नजीबाबाद के लिए संगीत रचनायें करने लगी.
आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘धरोहर’ से उत्तराखण्ड के लोक संगीत, नाटक, लोकगाथाओं आदि का प्रचार प्रसार करती रही.
इसके अतिरिक्त उन्होने रूढ़वादी परम्परा को तोड़कर महिलओं की मांगल टीम बनाकर उन्हें ढोल वादन में निपुण बनाया.
अन्तर्राष्ट्रिय महिला दिवस 2019 के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया था.
डाॅ. माधुरी बड़थवाल अपनी संस्था ‘मनु लोक सांस्कृतिक धरोहर संवर्धन संस्थान’ के माध्यम से हमेशा लोक पंरम्पराओं, लोक संगीत, वाद्ययंत्रों आदि को सहेजने के निरंतर प्रयास करती रही है, उन्होने कई लोगों को संगीत प्रशिक्षण भी दिया.