जान की बाजी लगाकर परीक्षा देकर घर लौट रहे विद्यार्थी

पहाड़ो में जीवन यापन करना आसान नहीं होता हैं पहाड़ी लोगो को खानपान से लेकर शिक्षा से लेकर कई प्रकार की दिक्कतो का सामना करना पड़ता हैं

इन दिनों उत्तराखंड में बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं, ये परीक्षाएं 8-11 और 2-5 बजे की दो पालियों में हो रही हैं, लेकिन पहाड़ों में सड़क और परिवहन सुविधाओं के चलते छात्रों को लंबा पैदल सफर तय करना पड़ता है.

इधर चम्पावत जिले में बीते दिनों हुई भूगोल की परीक्षा देकर लौट रहे बच्चों की तस्वीरें खासा सुर्खियों में हैं, रात के अंधरे में मोबाइल की टॉर्च के सहारे पहाड़ी रास्तों को पैदल ही पार करने की कोशिश कर रहे हैं.

पहाड़ों में गुलदार बाघ जैसे जंगली जानवरों के हमले की खबरें अक्सर आती रहती हैं, लिहाज़ा परीक्षा देते ये नौनिहाल भी खतरे की जद में हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग की नैतिक जिम्मेदारी बनती है.

परीक्षा सेंटर से दूर गांवों के बच्चों के लिए सेंटर के नजदीक रहने के इंतजाम किए जाए या फिर बच्चों की सुरक्षा के मद्देनज़र परीक्षा के वक्त में बदलाव किए जाए.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन तस्वीरों को शेयर करते हुए कुछ यूज़र्स दो पालियों के बीच तीन घंटे के अंतराल को कम कर  एक घंटे करने का सुझाव दे रहे हैं ताकि  द्वितीय पाली में परीक्षा देने वाले बच्चे  1से 3 तक पेपर देकर उजाले में अपने घर पहुंच सकें.

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