नुक्कड़ नाटक के जरिये छात्र-छात्राओं ने तंबाकू के सेवन पर लोगों को किया जागरूक

जब हम सिनेमा हॉल में फिल्म देखने जाते हैं तो शुरूआत में एक विज्ञापन दिखाया जाता है, जिसमें दिखाया जाता है कि कैसे तंबाकू एक नौजवान की जान ले लेता है.

इस विज्ञापन का उद्देश्य आम जन को तंबाकू न चबाने या जल्द से जल्द तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करना है, वैश्विक पटल पर भी इसके लिए काफी प्रयास किए जाते हैं.

और वैश्विक स्तर पर तंबाकू के खिलाफ लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है, आज यानि 31 मई को ये दुनियाभर में मनाया जा रहा है. दुनियाभर में तरह तरह कि गोष्ठियों के आयोजन हो रहे हैं.

तो वहीं हमारे प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में स्कूली छात्रों ने तंबाकू के खतरों से लोगों को आगाह कराया.

मेहलचौरी इलाके में स्थित गंगा पब्लिक जूनियर हाईस्कूल रंगचौड़ा मेहलचौरी के छात्र-छात्राओं द्वारा तंबाकू के सेवन से होने वाली घातक बीमारियों और हानि के बारे में लोगों को जागरूक किया गया.

परिवार को होने वाली परेशानियों को दिखा कर बाजार में कई स्थानों पर नुक्कड़ नाटक आयोजित किए गए. नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से जनता को जागरूक किया गया.

छोटे-छोटे बच्चों द्वारा बहुत ही शानदार अंदाज में तंबाकू से होने वाली बीमारियों का बहुत सुंदर मंचन किया गया. इसे लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया.

थाना गैरसैंण के एसओ और उनकी पूरी टीम, मेहलचौरी रिपोर्टिंग पुलिस चौकी के समस्त पुलिसकर्मियों एवं व्यापार मंडल मेहलचौरी के सहयोग के लिए स्कूल प्रशासन ने धन्यवाद दिया.

विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास:

 दरअसल, सबसे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1987 में एक प्रस्ताव पारित किया गया था. जिसे 7 अप्रैल, 1988 को ‘विश्व धूम्रपान निषेध दिवस’ के रूप में लागू किया गया है.

इस अधिनियम के तहत लोगों को कम से कम 24 घंटे तक तंबाकू का उपयोग करने से रोकना था. हालांकि, बाद में इसे 31 मई से विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

वर्ष 2008 में WHO ने तंबाकू से संबंधित किसी भी विज्ञापन या प्रचार पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इसका मकसद था कि विज्ञापन देख युवा को धूम्रपान करने के लिए आकर्षित न हों.

 इस साल की थीम:

 इस बार ‘विश्‍व तंबाकू निषेध दिवस’ की थीम है– ‘पर्यावरण की रक्षा करें’. बता दें कि पिछले साल इस दिवस की थीम “कमिट टू क्विट” थी.

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