उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की धामी सरकार फिलहाल त्रिवेंद्र सरकार के पद चिन्हों पर चल रहती नजर आ रही है. जहां पिछले कार्यकाल में बतौर मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने न तो पूरा मंत्रिमंडल भरा था और न ही जल्द दायित्वों का आवंटन किया था. अब उसी दिशा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी आगे बढ़ रहे हैं. ऐसा इसलिए कि अभी तक दायित्व के बंटवारे पर कोई कदम उठता नहीं दिख रहा है. जिस पर कांग्रेस तंज कस रही है.
हालांकि, पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव जीतने के बाद अब जिलों के प्रभारी मंत्री बना दिए हैं. ऐसे में पिछले 3 महीनों से लंबित जिला योजना के काम अब जाकर शुरू हो पाएंगे. वहीं, अगर दायित्वों की बात करें तो सरकार में 100 से ज्यादा दायित्व हैं, जो कि मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद भरे जाने हैं. जिन पर यह पहले से ही तय माना जा रहा है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं को सौगात के रूप में यह दायित्व दिए जाएंगे. हालांकि, ये दायित्व कब दिए जाएंगे? इसको लेकर केवल उम्मीदें ही लगाई जा सकती है. विपक्ष भी सरकार इस कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़े कर रही है.
कांग्रेस ने जहां एक ओर जिलों के प्रभारी मंत्री बनाए जाने को सरकार की ओर से की गई देरी करार दिया है और तो वहीं दूसरी ओर दायित्व के आवंटन में हो रही देरी को लेकर भी सरकार पर तीखा हमला बोला है. विपक्ष का कहना है कि इससे प्रदेश के विकास की रफ्तार कम हो रही है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि कहीं ऐसा तो नहीं दबाव में आने की वजह से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है. गुटबाजी की डर से सीएम धामी क्या ये कदम नहीं उठा पा रहे हैं?