UKPSC परीक्षा में महिला आरक्षण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक !

UKPSC Exams में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण ( दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) में सुनवाई हुई.

मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने सरकार के 30 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने वाले शासनादेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है.

बता दें कि, जनरल कोटे से सरकार 30 प्रतिशत आरक्षण उत्तराखंड की महिलाओं को दे रही है, जिसपर रोक लगा दी गई है.

मामले के अनुसार हरियाणा और उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जिसकी वजह से वे आयोग की परीक्षा से बाहर हो गए हैं.

उन्होंने सरकार के 2001 एवं 2006 के आरक्षण दिए जाने वाले शासनादेश को चुनौती दी है, जिसमे कहा गया है कि यह आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 विपरीत है. कोई भी राज्य सरकार जन्म और स्थायी निवास के आधार पर आरक्षण नहीं दे सकती. याचिका में इस आरक्षण को निरस्त करने की मांग की गई.

याचिकाओं में कहा गया है कि उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य पदों के लिए हुई उत्तराखंड सम्मिलित सिविल अधीनस्थ सेवा परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को अनारक्षित श्रेणी में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है.

लोक सेवा आयोग ने 31 विभागों के 224 रिक्तियों के लिए पिछले साल दस अगस्त को विज्ञापन जारी की थी. 26 मई 2022 को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आया.

परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी की दो कट आफ लिस्ट निकाली गई. उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों की कट ऑफ 79 थी.

जबकि याचिकाकर्ता महिलाओं का कहना था कि उनके अंक 79 से अधिक थे, मगर उन्हें आरक्षण के आधार पर परीक्षा से बाहर कर दिया.

सरकार ने 18 जुलाई 2001 और 24 जुलाई 2006 के शासनादेश के आधार पर उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जो गलत है.

 

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