उत्तराखंड राज्य में लगातार हो रहे भर्ती परीक्षाओं में धांधली को लेकर उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने कड़ा आक्रोश जताया है साथ ही उन्होंने लोक सेवा आयोग की भूमिका पर कई सवाल खड़े कर दिये।
वही आज बेरोजगार संघ से जुड़े सदस्यों ने पूर्व में हुई भर्ती परीक्षाओं में भी धांधली की आशंका जताते हुए सीबीआई जॉच की मांग की।
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने मीडिया के सामने कई तथ्यों से पर्दा हटा कर कहा कि लोक सेवा आयोग इन धांधलियों को छुपा व दबा रहा है।
संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि एक ओर आयोग दावा कर रहा है कि लोक सेवा आयोग उत्तराखंड में पटवारी भर्ती धांधली प्रकरण पहला मामला है , जो कि बिल्कुल गलत है । इसके अलावा अन्य परीक्षाओं के पेपर भी लीक हुए हैं। साथ ही आयोग यह दावा कर रहा है कि चतुर्वेदी को पहली बार अति गोपन विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी , जिससे अन्य परीक्षाओं में गड़बड़ियों के सवाल ही पैदा नहीं होते । जबकि सच्चाई यह है कि आयोग के अंदर ही कई और चतुर्वेदी हैं। पंवार ने सबूत के तौर पर जेई भर्ती के प्रश्न बैंकों की प्रतिलिपियाँ भी प्रेस वार्ता में पेश की।
यदि चतुर्वेदी ने प्रश्न बैंक को बाहर नहीं किया तो किसने इन प्रश्न बैंक को बाहर किया । जिस प्रश्न बैंक को उत्तराखंड के अलावा सहारनपुर , यूपी में परीक्षा से 5 दिन पहले से सैकड़ों छात्रों को पढ़ाया जा रहा था । जिसकी पुष्टि करने के लिए हमारे पास 9 मई 2021 को 2 छात्रों की कॉल रिकॉर्डिंग भी है जिसमें इन सब बातों का जिक्र भी आ रहा है ।
पटवारी परीक्षा में 380 प्रश्नों का प्रश्न बैंक बाहर था । न तो आम अभ्यर्थियों को यह पता है कि वे कौन से प्रश्न थे और न ही आयोग ने अभी तक इन प्रश्नों को पब्लिक डोमेन में रखा है , जिससे यह संशय की स्थिति बनी है कि 100 से अधिक छात्र जिन्होंने पेपर पढ़ा था ( समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार ) वह भी दोबारा इस परीक्षा को देंगे और यह पूरी संभावना है कि इन लोगों का पैसा बचाने और अन्य परीक्षा माफियाओं को बचाने के लिए यह कोशिश हो रही हो ।
बेरोजगार संघ ने कहा कि जब मई 2021 में संपन्न हुई जेई की परीक्षा का प्रश्न बैंक बाहर आ सकता है और 8 जनवरी 2022 को संपन्न हुई पटवारी लेखपाल परीक्षा का प्रश्न बैंक भी बाहर आ सकता है तो इस अंतराल में हुई विभिन्न परीक्षाएं अपर पीसीएस , लोअर पीसीएस , FRO RO ARO , हाईकोर्ट पीसीएस जे प्रवक्ता आदि परीक्षाओं के प्रश्न बैंक भी निश्चित रूप से ही बाहर होंगे क्योंकि 12 दिसंबर को संपन्न हुई लोअर पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट पहली बार 70 प्रतिशत तक जाना और इस परीक्षा में 12 अंकों का बोनस मिलना तथा परीक्षा का मामला माननीय उच्च न्यायालय में लंबित होने के बाद भी आयोग ने अपनी ही नियमावली के विरुद्ध जाकर संबंधित परीक्षा की ओएमआर सहित सभी साक्ष्यों को नष्ट कर दिया जिससे उक्त परीक्षा की जांच ही न हो पाये ।
चार अप्रैल 2022 को संपन्न हुई अपर पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में आयोग ने अपनी शुचिता को प्रारंभिक स्तर पर ही भंग कर दिया । आयोग द्वारा वितरित प्रश्न पुस्तिका में पॉलीथीन के अंदर कॉन्फिडेशियल सील का ना होना यह दर्शाता है कि ओएमआर की टारगेट डिलीवरी की है ।
JE भर्ती प्रश्न बैंक की प्रतिलिपि
आरोप लगाते हुए कहा कि लोक सेवा आयोग ही एक मात्र ऐसा आयोग हैं जो अलग से ओएमआर वितरित कर रहा है और इस बार नियमों के विरुद्ध सील हटा दी , क्योंकि आयोग के अधिकारियों को पहले से ही यह पता होता है कि किस अभ्यर्थी के पास कौन सी पुस्तिका वितरित करनी है तो यह संदेहात्मक रूप से टारगेट डिलीवरी की गई और इसकी जांच न हो पाए इसलिए आपने लोअर पीसीएस की तरह मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में • लंबित होते हुए भी 6 दिसंबर 2022 को अपर पीसीएस के सभी साक्ष्य नष्ट कर दिए और आरटीआई में जानकारी मांगने पर जानकारियां नहीं दी जा रही हैं , जिससे यह प्रतीत होता है कि निश्चित ही परीक्षाओं में बड़े स्तर पर धांधली हुई है ।
पुलिस सिपाही भर्ती में भी गड़बड़ियों की जानकारियां और कुछ साक्ष्य सामने आए हैं जिस कारण धांधली में शामिल परीक्षा माफियाओं के तार आयोग , पुलिस के बड़े अधिकारियों और सरकार में बैठे लोगों से जुड़े सकते हैं , क्योंकि पटवारी लेखपाल भर्ती घोटाले में गिरफ्तार हुए आरोपी संजीव कुमार चतुर्वेदी और राजपाल सिंह भर्ती के दौरान हरिद्वार के दर्जनों गांवों / क्षेत्रों के अभ्यर्थियों के साथ संपर्क में थे । इसके अलावा परीक्षा होने के बाद भी नंबरों को बढ़ाकर सिलेक्शन का दावा कर रहे नकल माफिया की कॉल रिकॉर्डिंग भी सामने आई है ।
साथ ही प्रदेश भर में कई ऐसी जानकारिया सामने आई है जिससे शारीरिक परीक्षा के दौरान भाई भतीजावाद का फायदा उठाकर अनेकों अभ्यर्थियों को कई अंकों का फायदा पहुंचाया गया है साथ ही यदि जेई और पटवारी का क्वेश्चन बँक बाहर आ सकता है तो निश्चित ही पुलिस सिपाही का क्वेश्चन बैंक भी बाहर आया होगा । जिसकी निष्पक्ष जांच होना अति आवश्यक है ।
संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि जहां लिखित परीक्षाओं में इतने बड़े स्तर पर धांधली सामने आ रही है वहीं सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में एपीआई को लागू करके केवल साक्षात्कार के माध्यम से लेवल 10 की भर्ती को संपन्न करवाना आयोग और साक्षात्कार पैनलों की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है क्योंकि इससे पूर्व संपन्न भर्तियां जिनमें साक्षात्कार हुआ था ।
आयोग के साक्षात्कार पैनलों की मनमानी कई बार देखी गई है साथ ही यह भी अवगत कराना है कि इस भर्ती में एपीआई के लागू होने से उत्तराखंड के अभ्यर्थियों का पूरी तरह से अहित हुआ है इसलिए इसमें जल्द ही भर्ती पर रोक लगाकर लिखित परीक्षा के माध्यम से परीक्षा को संपन्न कराया जाना चाहिये ।
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में महिला क्षैतिज आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं है । महिला क्षैतिज आरक्षण अध्यादेश में बिंदु संख्या 9 पर यह उल्लेखित है कि इस अधिनियम के उपबंध ऐसे मामलों पर प्रदत्त नहीं होंगे जिसमें चयन प्रक्रिया इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व प्रारंभ हो चुकी हो , इस पर सरकार अपना स्पष्टीकरण दे जिससे उत्तराखंड की बेटियों के अधिकारों को सुरक्षित कर सकें ।
आयोग ने मनीष चौहान बनाम स्टेट ऑफ उत्तराखंड एवं अन्य में असिस्टेंट प्रोफेसर राजकीय महाविद्यालय चयन 2021 में पारित उच्च न्यायालय के आदेश द्वारा विज्ञप्ति को निरस्त कर दिया गया था और आयोग को यह निर्देशित किया था कि नए सिरे से विज्ञापन को प्रकाशित करें और भर्ती प्रक्रिया को शुचिता पूर्ण ढंग से पूरा करें लेकिन फिर भी आयोग ने अपना तानाशाही रवैया दिखाते हुए एक निर्णय लिया जिसमें दिव्यांगजन के पदों को वर्तमान में चल रही प्रतियोगिताओं से पृथक रख कर आगे की प्रतियोगिता कराई जाएगी । इससे साफ होता है कि उनकी आरक्षित सीटों को हटा कर उन्हें अनारक्षित सीटों पर प्रतियोगिता कराई जा रही है और यही व्यवस्था 30 नवंबर 2022 के अधिसूचना के अंतर्गत लोअर , अपर एपीएस , जेई , एई सभी भर्तियों पर लागू हो रहा है ।
उदाहरण के तौर पर जैसे अपर पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में दिव्यांगजन की न्यूनतम मेरिट / कटऑफ 65.88 अंक है और अनारक्षित की 91.93 अंक है । इस तरह आयोग द्वारा अनारक्षित श्रेणी में दो मानकों का प्रयोग करके मुख्य परीक्षा में सम्मिलित करवाया जा रहा है जो कि नियमावली के विरुद्ध है । आयोग को विज्ञप्ति में सुधार कर दिव्यांगजन के पदों को जोड़ना चाहिए था और सभी पदों के लिए नई विज्ञप्ति को जारी करना चाहिए था परन्तु उसने अपनी हठधर्मिता का प्रयोग करके एक ही परीक्षा में विभिन्न मांगों का उपयोग कर दिव्यांग एवं अनारक्षित अभ्यर्थी दोनों के साथ छल किया है , यह आयोग की कार्य प्रणाली पर गंभीर आशंकाएं उत्पन्न करता है ।
बेरोजगार संघ ने कहा कि लोअर और अपर पीसीएस के प्रारंभिक परीक्षा की ओएमआर कॉपी एवं संबंधित दस्तावेजों , सभी पत्रों की वेडिंग हो चुकी है । इसलिए अब आयोग की जांच किस आधार पर की जाएगी ?? मात्र सॉफ्ट कॉपी डाटा बेस पर आप कोई भी जांच नहीं कर सकते । इसलिए हमारी मांग है कि 2021 एवं 22 में कराई गई सभी परीक्षाओं का निरस्तीकरण किया जाए और महिलाओं को संरक्षण देने के लिए 2023 की विज्ञप्ति के साथ सभी पदों को नई विज्ञप्ति में जोड़कर प्रकाशित की जाय।
बेरोजगार संघ ने कहा कि UKSSSC भर्ती घोटालों की जाँच में सचिवालय में तैनात अपर निजी सचिव की भी संलिप्तता एसटीएफ ने उजागर की थी । लिहाजा, उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित उक्त अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा की भी निष्पक्ष जाँच हो और संलिप्त दोषियों को तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाय ।
नकलचियों के नाम सार्वजनिक नहीं किये जा रहे हैं । अगर मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को वास्तव में 2025 तक भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते हैं तो तत्काल सीबीआई जाँच के आदेश दें । यदि उक्त माँगों पर तत्काल कार्यवाही नहीं हुई तो उत्तराखण्ड बेरोजगार संघ प्रदेशव्यापी आंदोलन छेडेगा , जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन – प्रशासन की होगी ।