छह दिन से डीपो में खड़ी बसें, बसों को जगह देने से उत्तर प्रदेश का इनकार

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण उत्तराखंड की पुरानी डीजल बसों पर प्रतिबंध लगा है। इससे दिल्ली आने-जाने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उत्तराखंड ने पुरानी बसों को दिल्ली सीमा तक चलाने की तैयारी की थी लेकिन उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने कौशांबी डिपो में जगह देने से इनकार कर दिया। उत्तराखंड की पुरानी बसें दिल्ली सीमा तक नहीं जा पाएंगी।

दिल्ली में प्रतिबंध के बाद पुरानी डीजल बसों को कौशांबी डिपो (गाजियाबाद) तक संचालित करने की तैयारी में लगे उत्तराखंड परिवहन निगम को उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने जगह देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में उत्तराखंड की पुरानी बसें अब दिल्ली सीमा तक भी नहीं जा पाएंगी।

ऐसी 194 बसें छह दिन से प्रदेश के विभिन्न डिपो में खड़ी हुई हैं। हाल तो यह हैं कि मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के निर्देश के तीन दिन बाद भी परिवहन निगम दिल्ली जाने वाली बीएस-6 व सीएनजी बसों के फेरे तक नहीं बढ़ा पाया है। ऐसे में इस सप्ताहंत में यात्रियों की परेशानी बढ़ना तय माना जा रहा है।

प्रदूषण उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद उत्तराखंड की दिल्ली जाने वाली पुरानी डीजल बसों पर शनिवार दोपहर से प्रतिबंध लग गया था। शनिवार तक उत्तराखंड के विभिन्न डिपो से 504 बसें दिल्ली जा रही थीं, इनमें से अब 310 बसें ही दिल्ली जा पा रही हैं।

इन 310 बसों में से भी परिवहन निगम की अपनी बसें केवल 77 हैं, जबकि बाकी बसें अनुबंधित हैं। दिल्ली के लिए उत्तराखंड से रोजाना 40 से 45 हजार यात्री आवागमन करते हैं, ऐसे में बसों की संख्या कम होने के कारण इन यात्रियों को अब उत्तर प्रदेश परिवहन निगम व निजी बसों समेत टैक्सी आदि का सहारा लेना पड़ रहा है।

परिवहन निगम की ओर से कोई वैकल्पिक योजना न बनाने के कारण मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने परिवहन विभाग एवं निगम के अधिकारियों की बैठक ली थी।

उत्तराखंड परिवहन निगम की योजना को झटका
निर्देश दिए थे कि दिल्ली नहीं जा पा रही 194 पुरानी बसों को दिल्ली सीमा पर कौशांबी डिपो या मोहननगर तक संचालित किया जाए। इसके लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के अधिकारियों से कौशांबी में जगह देने के लिए वार्ता करने को कहा गया था।

विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को उत्तर प्रदेश ने कौशांबी में जगह देने से मना कर दिया है। इससे उत्तराखंड परिवहन निगम की योजना को झटका लग गया है। मुख्य सचिव ने वर्तमान में दिल्ली के लिए अनुमन्य 310 बसों के फेरे बढ़ाने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन निगम ऐसा नहीं कर पाया है।

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