नम आंखों से कार्यकर्ता-समर्थक ने दी UKD नेता त्रिवेंद्र सिंह पंवार को अंतिम विदाई

उत्तराखंड क्रांति दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार के निधन से राज्य में शोक की लहर है। उनके पार्थिव शरीर को पूर्णानंद घाट पर अंतिम विदाई दी गई जहां बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी और उनके निधन से राज्य ने एक महान नेता को खो दिया है।

उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार का पार्थिव शरीर उक्रांद के झंडे के साथ देहरादून रोड स्थित उनके आवास से दोपहर दो बजे पूर्णानंद घाट लाया गया, जहां लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र के लोग शामिल हुए

पूर्णानंद घाट पर उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार के पार्थिक शरीर को उनके पुत्र आलोक पंवार ने मुखाग्नि दी। इस दौरान ‘त्रिवेंद्र पंवार अमर रहे’, ‘राज्य आंदोलन का लाल, त्रिवेंद्र-त्रिवेंद्र’ आदि नारे गूंजते रहे।

इस अवसर पर ऋषिकेश विधायक एवं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, निवर्तमान महापौर अनीता ममगाईं, पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण, कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राकेश सिंह एडवोकेट, जिलाध्यक्ष देवप्रयाग उत्तम सिंह असवाल, निवर्तमान पार्षद राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट, राजपाल खरोला, उक्रांद के केंद्रीय उपाध्यक्ष जयराम उपाध्याय, पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी, कार्यकारी अध्यक्ष पंकज व्यास, केंद्रीय उपाध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ सन्नी भट्ट, प्रमिला रावत, मेजर संतोष भंडारी (सेनि.) सहित उक्रांद कार्यकर्ता मौजूद थे।

दो लोगों को रोशनी दे गए त्रिवेंद्र

दिवंगत त्रिवेंद्र सिंह पंवार के स्वजन ने एम्स में उनका नेत्रदान कराया। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डा. मीनू सिंह ने नेत्रदान जैसे महादान के इस पुनीत कार्य के लिए दिवंगत उक्रांद नेता के स्वजन की सोच की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे अन्य लोगों को भी नेत्रदान के संकल्प की प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यवाहक नेत्र विभागाध्यक्ष प्रो. अजय अग्रवाल ने बताया कि उनके इस निर्णय से दो नेत्रहीनों को रोशनी मिल पाएगी।

जाते-जाते पुराने कार्यकर्ताओं को एक साथ लाए त्रिवेंद्र
उक्रांद का गठन 25 जुलाई 1979 में हुआ और उक्रांद ने राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। मगर, राज्य गठन के बाद पार्टी में एकजुटता नहीं होने के कारण बिखराव होता चला गया और उक्रांद आमजन का समर्थन हासिल करने से वंचित रही। आज भले ही उक्रांद के पुराने कार्यकर्ता एक मंच पर न हों, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह पंवार जाते-जाते पुराने कार्यकर्ताओं को एक साथ ला गए।

उनके निधन पर उक्रांद के पुराने कार्यकर्ता व समर्थक एक-दूसरे से मिलते नजर आए और राज्य आंदोलन के संघर्ष की यादें भी ताजा हो गई। उक्रांद के केंद्रीय उपाध्यक्ष जयराम उपाध्याय ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह पंवार का संसद में पत्र बम कांड व अनेक आंदोलन में अग्रणी योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

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