दो साल की लंबी सुनवाई के बाद कोटद्वार की एडीजे कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
वीआईपी का मुद्दा भी खूब गरमाया
भाजपा नेता के रिसॉर्ट पर चले बुलडोजर से भी उपजे थे कई सवाल
अंतिम बहस में अभियोजन ने मांगी कठोर सजा
कोटद्वार। उत्तराखंड को झकझोर देने वाले अंकिता भंडारी हत्याकांड में अब न्याय की घड़ी नजदीक आती दिख रही है। कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) में इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है।
कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए अगली तिथि 30 मई निर्धारित की है। यह वह दिन हो सकता है जब अंकिता और उसके परिजनों को दो साल से अधिक समय से प्रतीक्षित न्याय मिल सके।
सोमवार को हुई अंतिम सुनवाई में विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने बचाव पक्ष की दलीलों का जवाब देते हुए तीनों आरोपियों पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की।
500 पन्नों की चार्जशीट में दर्ज हैं कई अहम तथ्य
यह सनसनीखेज मामला 18 सितंबर 2022 को प्रकाश में आया था। पौड़ी जनपद के यमकेश्वर क्षेत्र स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी।
हत्या के बाद उसका शव चीला शक्ति नहर में फेंक दिया गया था, जिसे करीब एक सप्ताह बाद बरामद किया गया।
हत्या से पहले पौड़ी गढ़वाल निवासी अंकिता ने रिसॉर्ट की गतिविधियों व स्वंय के असुरक्षित होने की बात भी कही थी। हत्या के बाद अंकिता की फोन कॉल्स व चैट सामने आने से हलचल मच गई थी।
विशेष जांच टीम (SIT) द्वारा की गई जांच के बाद रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उसके दो कर्मचारियों, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने और आपराधिक साजिश की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया।

जांच के आधार पर पुलिस ने लगभग 500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल की, जिसमें कुल 97 गवाह बनाए गए। इनमें से 47 गवाहों को अदालत में परीक्षित कराया गया। पूरे मुकदमे के दौरान तीनों आरोपी जेल से कोर्ट में पेश होते रहे।
वीआईपी का मुद्दा भी खूब गरमाया
गौरतलब है कि कथित वीआईपी को एक्स्ट्रा सर्विस देने के मुद्दे पर अंकिता और पुलकित आर्य के बीच झगड़ा हुआ था। इस बारे में अंकिता ने अपने दोस्त पुष्पदीप को भो बताया था।
पुष्पदीप ने अपने वीडियो बयान में वीआईपी को लेकर बातें भी की थी। लेकिन जांच में वीआईपी को लेकर अहम सुराग हाथ नहीं लगे। और भाजपा सरकार ने विधानसभा में कहा कि वीआईपी का मतलब वीआईपी रूम से था।
हालांकि, अंकिता की मां ने वीडियो बयान जारी कर भाजपा के एक नेता का खुलेआम नाम लेकर सनसनी मचा दी थी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा व संघ नेता विनोद आर्य के इस वनन्तरा रिसॉर्ट में कई लोगों का आना जाना लगा रहता था। भाजपा ने हत्या के बाद पार्टी नेता विनोद आर्य का दायित्व भी छीन लिया था।
अंकिता हत्याकांड के बाद सोशल मीडिया में चले विरोध के बाद वनन्तरा रिसॉर्ट पर रातों रात बुलडोजर चला दिया गया था। जिससे कई अहम सबूत नष्ट होने की बात भी सामने आई थी। बुलडोजर चलाने के पीछे भी कई दिमाग काम कर रहे थे। यही नहीं, प्रसिद्ध चीला नहर के निकट गंगा भोगपुर स्थित रिसॉर्ट व फैक्ट्री में आग लगने की घटनाओं ने भी कई सवालों को जन्म दिया था।
इस मुद्दे पर यमकेश्वर की भाजपा विधायक रेणु बिष्ट को भी जनता का विरोध झेलना पड़ा था। जनता ने पुलिस हिरासत में आरोपियों की जमकर पिटाई भी की थी।
न्याय के लिए जनता ने लम्बा आंदोलन भो किया। यही नहीं कोटद्वार में चली सुनवाई के दौरान भी विभिन्न जन संगठन व कांग्रेस पार्टी में न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। लेकिन भाजपा की महिला नेत्रियों ने अंकिता भंडारी हत्याकांड पर चुप्पी साधे रखी। आरोपियों और गवाहों के नार्को टेस्ट पर भी ठोस कार्यवाही सामने नहीं आ पाई।
अंकिता हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग भी जोर शोर से उठी थी। लेकिन राज्य सरकार ने एसआईटी के जरिये ही हत्याकांड की जांच करवाई। इस जांच पर अंकिता के परिजनों और जन संगठनों ने हमेशा संदेह व्यक्त किया।
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अंकिता भंडारी हत्याकांड को जोर शोर से उछाला था। पार्टी नेता गणेश गोदियाल ने न्याय यात्रा भी निकाली थी।

अभियोजन पक्ष की ओर से सुनवाई के दौरान विवेचक सहित कुल 47 गवाहों को पेश किया गया। मामले की सुनवाई 28 मार्च 2023 को शुरू हुई थी और अब अंतिम निर्णय के लिए 30 मई की तारीख तय की गई है।
बहरहाल, न्याय की घड़ी करीब आ गयी है। अदालत में चले इस लंबे और संवेदनशील मुकदमे का फैसला अब 30 मई को आने वाला है, जिसे एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल अंकिता और उसके परिवार को न्याय दिला सकता है, बल्कि समाज में ऐसे अपराधों के खिलाफ एक कड़ा संदेश भी देने का काम करेगा।
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