प्रदेश में 300 पुलों की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए परियोजना प्रबंधन इकाई के गठन की मंजूरी
49 अधिकारियों की टीम करेगी पुलों का व्यापक अध्ययन, भारी वाहनों के आवागमन में सुधार और सड़क सुरक्षा बढ़ाने की योजना
देहरादून। प्रदेश सरकार ने प्रदेश में लगभग 300 पुलों की वहन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से एक विशेष परियोजना प्रबंधन इकाई (PMU) के गठन की मंजूरी दी है। इस निर्णय से प्रदेश के परिवहन एवं यातायात के क्षेत्र में सुधार की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुसार, इस परियोजना प्रबंधन इकाई में कुल 49 अधिकारी और कर्मचारी शामिल होंगे, जो इन पुलों का विस्तृत अध्ययन करेंगे और उनकी वर्तमान स्थिति का आकलन कर वहन क्षमता बढ़ाने के लिए तकनीकी एवं व्यावहारिक सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
प्रदेश में अधिकांश पुलों की वर्तमान वहन क्षमता कम होने के कारण इन पुलों पर भारी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे प्रदेश के परिवहन व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इन पुलों की श्रेणी बी से ए में अपग्रेडेशन का लक्ष्य रखा गया है, जिससे भारी वाहनों का आवागमन सुगम हो सकेगा और माल व यात्री परिवहन में सुधार आएगा।
परियोजना प्रबंधन इकाई द्वारा किए जाने वाले अध्ययन में पुलों की संरचनात्मक मजबूती, यातायात की बढ़ती मांग, तकनीकी मानदंड, तथा पर्यावरणीय परिस्थितियों का समावेश होगा। इसके आधार पर पुलों की पुनर्निर्माण, मजबूतीकरण या आवश्यक मरम्मत का कार्य योजना के तहत किया जाएगा।
यह कदम प्रदेश की सड़कों और पुलों के नेटवर्क को आधुनिक बनाने, यातायात सुरक्षा सुनिश्चित करने, और आर्थिक विकास को गति देने के लिए उठाया गया है। सरकार का मानना है कि पुलों की वहन क्षमता में वृद्धि से न केवल परिवहन व्यवस्था सुचारु होगी, बल्कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी, जिससे उद्योग, व्यापार और पर्यटन को भी लाभ मिलेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन से प्रदेश में लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और समय की बचत होगी, जो आर्थिक प्रगति के लिए अहम भूमिका निभाएगी।
सरकार द्वारा गठित यह परियोजना प्रबंधन इकाई निरंतर निगरानी और तकनीकी सलाह प्रदान करेगी तथा संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर पुलों की मजबूतीकरण कार्यों की प्रगति सुनिश्चित करेगी।
इस योजना के क्रियान्वयन के बाद प्रदेश में भारी वाहनों के आवागमन में वृद्धि के साथ-साथ सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने की भी संभावना जताई जा रही है।
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