देहरादून: साहित्यकार शिवराज सिंह रावत ‘निःसंग’ 15 फरवरी 1928 को जन्मे और आज अपने जीवन की लंबी यात्रा को पूर्ण करने के बाद अनन्त यात्रा में चले गये। दर्जनो पुस्तकों के लेखक, उत्तराखण्ड के महान साहित्यकारों में से एक महान साहित्यकार, सैन्य सेवा के बाद वह लगभग बीस साल तक उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय की प्रशासनिक सेवा में रहे। आपको बता दें कि आध्यात्म, संस्कृति, भाषा उनके लेखन के प्रमुख विषय रहे। लिखने-पढ़ने से उनका ऐसा प्रेम था कि 63 साल की उम्र में उन्होंने पत्रकारिता का डिप्लोमा हासिल किया। बुधवार को उनका निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य प्रेमियों और बुद्धिजीवियों में शोक की लहर है।
जीवन के उतर्राद्ध के चालीस साल विशुद्ध साहित्यिक साधना करने वाले निःसंग की साहित्यिक साधना अनवरत रही। उन्होंने समाज को जो योगदान दिया उसका आंकलन कर पाना बहुत मुश्किल है मगर उनकी पुस्तकों पर गहन अध्ययन के फलस्वरूप हम जान सकते हैं कि आपने जीवन में आध्यात्मिक स्वरूप को अपने साहित्य में सर्वोपरि रखा। अपने जीवन की लंबी यात्रा को पूर्ण करने के बाद आप अनन्त यात्रा में चले गये। ईश्वर आपको अपने श्री चरणों में स्थान दे। आपके द्वारा समाज के लिए किया जाने वाला अतुलनीय योगदान हमें आपकी याद दिलाता रहेगा।