विश्व प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में नियमों को ताक पर रखकर किये गए अवैध निर्माण व अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं करने के मामले में वन विभाग के शीर्ष अधिकारी एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
वन विभाग के मुखिया पद से हटाए गए आईएफएस व वर्तमान जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राजीव भरतरी ने तो हाई कोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल शपथपत्र के जवाब में दाखिल प्रति शपथपत्र में कार्बेट के निदेशक पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण मामले में निर्देश जारी होने के बाद भी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगा दिया है।
राजीव भरतरी ने अपने आरोपों के जवाब में शपथपत्र के साथ 20 पत्र संलग्न किये हैं। निदेशक राहुल ने भी तत्कालीन पीसीसीएफ भरतरी पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है।
इस मामले में कानूनी पेंच यह है कि कार्बेट नेशनल पार्क के डायरेक्टर को जांच करने व कार्रवाई के आदेश देने का अधिकार चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को है, ना कि पीसीसीएफ हेड ऑफ डिपार्टमेंट को। अफसरों की इस लड़ाई के बीच अब याचिका का अहम सवाल तबादले की वैधानिकता फिलहाल नेपथ्य में चला गया है।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया कि कार्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण व अतिक्रमण पर कार्रवाई को लेकर निदेशक राहुल की ओर से भरतरी को चार पत्र भेजे गए, लेकिन उन्होंने पत्रों का कोई संज्ञान नहीं लिया और कार्रवाई नहीं की।
जबकि भरतरी की ओर से इसका प्रति उत्तर दाखिल कर बताया गया है कि उन्होंने कार्रवाई के लिए निदेशक को 20 पत्र भेजे थे, लेकिन निदेशक ने कार्रवाई नहीं की।