धर्मनगरियों में रील्स बनाना मर्यादा को ठेस पहुंचाने जैसा

धर्मनगरी हरिद्वार में कई तीर्थयात्री गंगा में स्नान करने के लिए आते हैं. ऐसे में लाजिमी है कि तीर्थयात्री यादगार के लिए फोटो या फिर वीडियो बनाते हैं. ताकि वो अपने क्षेत्र में जाकर उसे दिखा सकें. लेकिन अब कुछ और ही देखने को मिल रहा है. हरिद्वार में आने वाले यात्री अब गंगा में स्नान तो कर रहे हैं, साथ ही साथ सोशल मीडिया पर अपने द्वारा बनाई गई वीडियोज को पोस्ट कर रहे हैं. ऐसे में कई वीडियो ऐसे हैं, जो धर्म नगरी की मर्यादा को ठेस पहुंचा रहे हैं. आज ईटीवी भारत आपको ऐसे ही वीडियो पर जन्मे विवाद के बारे में बता रहा है.

दरअसल, आजकल सोशल मीडिया का चलन होने पर हर कोई रील्स बनाने का शौकीन हो रखा है. ऐसे में कई रील्स हरिद्वार की हरकी पैड़ी पर भी युवक युवतियों की ओर से बनाई गई हैं. लेकिन तीर्थ पुरोहित और ब्राह्मण सभा से जुड़े लोग इन रील्स का विरोध कर रहे हैं. हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित समाज के उज्ज्वल पंडित का कहना है कि आप सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, अच्छी बात है. लेकिन जहां पर आप इस तरह की रील्स बना रहे हैं, उस क्षेत्र की मर्यादा का ख्याल रखें.

धर्मनगरी हरिद्वार की मोक्षदायिनी मां गंगा में आप धर्म से जुड़ी वीडियो बनाएं तो हम आपको मना नहीं करते हैं. आप गंगा में आचमन और पूजा की वीडियो बनाएं. उसमें भी कोई परेशानी नहीं है. लेकिन इस तरह फिल्मी गानों पर ठुमक-ठुमक कर हरकी पैड़ी पर वीडियोज बनाना और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना कहीं न कहीं हमारे हिंदू धर्म की छवि को धूमिल करने का कार्य कहा जा सकता है. क्योंकि, हर क्षेत्र की कुछ मर्यादा होती है. चाहे वो धर्मनगरी हो या अन्य तीर्थस्थल आप वीडियो बनाएं, लेकिन उस क्षेत्र की मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए ही बनाएं. वीडियो जो अब हमें देखने को मिल रहे हैं. जहां मां गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति हुआ करती थी. अब वहां पर लोग फिल्मी गानों पर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं. पंडित अधीर कौशिक का कहना है कि समय के साथ बदलना जरूरी है, लेकिन तीर्थ क्षेत्र की कुछ मर्यादाएं होती हैं. जिन्हें ध्यान में रखना अति आवश्यक है. आप तीर्थ क्षेत्र में वीडियो बनाएं, फोटो खिंचवाएं, लेकिन भक्ति भाव के साथ ना कि फिल्मी भाव के साथ.

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