शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भारत रत्न देने की मांग

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन हो जाने के बाद आज हरिद्वार में जगह जगह साधु संतों द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस दौरान हरिद्वार के साधु संतों ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भारत सरकार से भारत रत्न देने की मांग की. साथ ही उनके नाम पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम बदलने के साथ ही देश में राष्ट्रीय शोक घोषित करने की भी मांग की गई.

हरिद्वार के कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में आयोजित शोक सभा में संतों ने शंकराचार्य की विद्वता और सरल स्वभाव का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया जाना चाहिए. संतों ने केंद्र सरकार से उनकी जीवन यात्रा पूरी होने पर राष्ट्रीय शोक ओर उत्तराखंड के देहरादून में स्थित हवाई अड्डे का नाम भी शंकराचार्य हवाई अड्डा करने की मांग की.

संतों ने बताया कि स्वामी स्वरूपानंद ने इसको लेकर कई बार सरकार से मांग की थी. जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम शंकराचार्य के नाम से किया जाए. शंकराचार्य मठ में शंकराचार्य के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए संतों ने कहा कि उनके मार्ग दर्शन का अभाव संतों को सदा ही रहेगा.

प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज सनातन हिंदू धर्म के संरक्षक, संवर्धक रहे हैं. वे लगभग 45 वर्षों तक ज्योतिष शारदा पीठ पर विराजमान रहे हैं. स्वतंत्रता सेनानी, गौ रक्षक के रूप में उनकी भूमिका को सदैव याद याद किया जाता रहेगा. अध्यात्म जगत की ऐसी महान विभूति को जिसका जीवन सनातन हिंदू धर्म, गंगा की रक्षा के लिए समर्पित रहा, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में विशेष योगदान दिया, ऐसे महान संत को भारत सरकार विशिष्ट नागरिक अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित करे.

बता दें, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 वर्ष की आयु में ब्रह्मलीन हो गए. जिसके बाद से देशभर के साथ हरिद्वार के संत समाज में शोक की लहर है. शंकराचार्य के निधन होने पर संत समाज ने इसे सनातन धर्म की बड़ी क्षति बताया है. वहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी, पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने भी शोक जताया है.

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